आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो इस वर्ष करीब 15 साल में इस बार बांध में सबसे कम पानी की आवक दर्ज की गई। ज्ञात रहे कि वर्ष 2007 के बाद बांध के भराव क्षेत्र में बरसात की कमी होती रही। वर्ष 2010 में बांध में बहुत कम पानी रह गया जिससे पीने के पानी की भी समस्या हो गई। उस समय गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने भराव क्षमता को बढ़ाने का भी मसौदा तैयार किया गया लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। पिछले साल बीसलपुर बांध में दिनोदिन पानी का स्तर घटने को लेकर राज्य सरकार ने बांध क्षेत्र की जुड़ी नदियों में पानी के बहाव के साथ आए मिट्टी के पहने में जमने को हटाने के कार्य के लिए मुंबई की एक कंपनी को सर्वे कराकर मिट्टी निकालने का ढिंढोरा पीटा लेकिन वह भी धरातल पर नहीं हो पाया। बांध बनने के बाद से अब तक 2004 ,2006 , 2014 एवं 2016 में अपने पूर्ण भराव क्षमता तक पहुंचा था। बीसलपुर बांध भरने के बाद 4 वर्ष पूर्व करीब डेढ़ महीने तक गेट खोल कर करीब 135 टीएमसी अतिरिक्त पानी की निकासी लगातार की गई। इस निकाले गए पानी से बांध करीब तीन बार भर जाता।
बांध से अवैध सिंचाई
बीसलपुर बांध जल ग्रहण क्षेत्र के नदियों के किनारे बसे गांव के किसान अवैध रूप से डीजल पंप सेट चलाकर 3 से4 किलोमीटर पाइप लाइनों के जरिए से पानी ले जाकर खेतों की सिंचाई कररहे हैं जिससे भी पानी का लेवल धीरे धीरे कम हो रहा है। नदियों के किनारे अवैध दोहन का कार्य इन दिनों जोरों पर है। वर्तमान समय में फसल बुवाई को लेकर काश्तकार दिन रात अपने खेतों की पलावन कर के तैयार करने मेंजुटे हैं। इन दिनों पाने की डिमांड के साथ अवैध सिंचाई एवं वाष्पीकरण के चलते भी बांध का लेवल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। वहीं राज्य सरकार अगर नहरों में पानी छोडऩे का कार्य करती है तो बांध का लेवल और कम हो जाएगा।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जुलाई 2014 में जारी बजट में जिला चित्तौड़ की तहसील बेगूं में ब्राह्मणी नदी पर बांध का निर्माण कर बीसलपुर बांध में वाटर डायवर्जन केलिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की घोषणा की थी लेकिन विभागबीते 5 साल में केवल फीजिबिलिटी रिपोर्ट ही तैयार करवा सका। मुख्यमंत्री ने फरवरी 2018 में जारी बजट में कहा था कि बीसलपुर बांध पिछले 16 साल में केवल 4 बार ही पूरा भरा है। इस में पानी की आवक बढ़ाने के लिए 6 हजार करोड़ की लागत वाली ब्राह्मणी बनास परियोजना तैयार की है। इस परियोजना से जयपुर अजमेर टोंक जिले लाभान्वित होने की उम्मीद थी।
ब्राह्मणी नदी मेंमानसून के दौरान अच्छा पानी आता है यह पानी जवाहर सागर बांध कोटा बैराज होकर चंबल नदी में बह जाता है इसे बनास नदी से जोड़ दिया जाए तो बीसलपुर बांध हर साल भरने की संभावना है। चंबल की सहायक नदी ब्राह्मणी से पानी लाने के लिए भैंसरोडगढ़ के पास बांध बनाया जाएगा। इस बांध में पानी रोक कर नहर से लिफ्टिंग करेंगे जिसे भीलवाड़ा के जहाजपुर के पास बनास नदी में मिलाया जाएगा। ब्राह्मणी नदी से बांध में पानी लाने के लिए करीब 89 किलोमीटर की नई नहर बनाई जाएगी। इसमें 59 किलोमीटर टनल और शेष भाग में ओपन केनाल बनेगी।
बीसलपुर बांध की पूर्ण भराव क्षमता 315.50आर एल मीटर(38.70टीएमसी)
-बांध से सिंचाई के लिए आरक्षित 8 टीएमसी पानी।
– जयपुर एवं टोंक जिले के लिए 11.2 टीएमसी आरक्षित पानी।
– अजमेर जिले सहित 5 टीएमसी आरक्षित पानी।
– सिंचाई के लिए निम्न स्तर तक छोडऩे का सर 310.60 आर एल मीटर।
– बांध से उपयोग में आने वाला पानी 33.15 टीएमसी
बीसलपुर बांध से प्रतिदिन 925 एमएलडी पानी जयपुर अजमेर एवं टोंक जिले सहित को पीने के लिए दिया जा रहा है। बांध के जल ग्रहण क्षेत्र के एरिया में भरे पानी के हिसाब से वाष्पीकरण होता है।
-रामनिवास जांगिड़ सहायक अभियंता जलदाय विभाग केकड़ी
-आरसी कटारा अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग