चिकित्सकों का कहना है कि इन इन औषधियों की तासीर गर्म रहती है। ऐसे में यदि इनको उबाल कर नियमित सेवन किया जाए तो कोरोना से बचा जा सकता है। नया बाजार स्थित पंसारियों के मुताबिक मार्च माह से नवम्बर माह तक गिलोय सहित अन्य औषधियों की खपत दस गुना बढ़ गई है। आमजन का विश्वास है कि इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए इन औषधियों से युक्त तैयार क्वाथ (आयुर्वेदिक काढ़ा) किसी रामबाण से कम नहीं है।
औषधियों का भंडारण आयुर्वेद विभाग की रसायन शालाओं में 16211 किग्रा गोजिव्हादि क्वाथ एवं 11901 किग्रा वातश्लेष्मिक ज्वरहर क्वाथ का भण्डारण किया गया है, ताकि मांग के अनुरूप औषधालयों में वितरित किया जा सके। आयुर्वेद निदेशालय की रसायनशालाओं में पिछले सात माह में इम्यूनिटी पावर बढ़ाने एवं मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए जितनी भी औषधियों का निर्माण हुआ है इनमें गिलोय के साथ अन्य औषधियों की डिमांड भी तेजी से बढ़ी है। रसायनशालाओं में कच्चे माल की डिमांड भी बढ़ गई है। खपत एवं डिमांड के चलते औषधियों का खरीद मूल्य भी बढ़ गया है।
18 तरह की औषधियों का निर्माण अजमेर में आयुर्वेदिक रसायनशाला में स्थित लैब में औषधियों की टेस्टिंग के बाद ही सप्लाई किया जाता है। यहां 18 तरह की औषधियों का निर्माण किया जा रहा है। अजमेर के साथ उदयपुर, जोधपुर, भरतपुर व केलवाड़ा रसायनशाला में औषधियां बनाई जा रही हैं।
औषधियों का निर्माण जारी डॉ. बाबूलाल कुमावत, अति. निदेशक (रसा.) के अनुसार रसायनशाला में कच्चा माल पर्याप्त है, है। मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सीमा शर्मा, निदेशक आयुर्वेद विभाग,जयपुर के अनुसार गिलोय एवं क्वाथ (आयुर्वेदिक) काढ़ा की डिमांड बढ़ी है। इनका सेवन चिकित्सकीय (वैद्य) सलाह के बाद में निर्धारित अनुपात में ही किया जाना चाहिए। क्वाथ एवं औषधियों का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है।
डिमांड से बढ़ गई औषधियों की रेट औषधि वर्ष 2018-19 वर्ष 2020-21 गिलोय 42.50 57.88
त्रिकटु 388.50 409.50 वातलेष्मिक क्वाथ 158.34 169.58 गोजिव्हादि 264.83 268.97