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विज्ञान के आधार पर भारत बने दुनिया का बादशाह

locationअजमेरPublished: Sep 22, 2020 12:09:56 am

Submitted by:

Dilip Dilip Sharma

गृह जिले में बिना बुक्स का खोलेंगे साइंस का स्कूल
बाड़ी. विज्ञान एक ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को किताबों तक ही सीमित कर रखा जाता है, लेकिन हमें विज्ञान की मानव जीवन में और लोक कल्याण में काम आने वाली व्यवहारिक गतिविधियों तक पहुंचना है। कोई भी फैसिलिटी को डेवलप करना चाहिए, न कि उसे मांग कर काम चलाना।

विज्ञान के आधार पर भारत बने दुनिया का बादशाह

विज्ञान के आधार पर भारत बने दुनिया का बादशाह


गृह जिले में बिना बुक्स का खोलेंगे साइंस का स्कूल

बाड़ी. विज्ञान एक ऐसा विषय है, जिसमें बच्चों को किताबों तक ही सीमित कर रखा जाता है, लेकिन हमें विज्ञान की मानव जीवन में और लोक कल्याण में काम आने वाली व्यवहारिक गतिविधियों तक पहुंचना है। कोई भी फैसिलिटी को डेवलप करना चाहिए, न कि उसे मांग कर काम चलाना।
यह कहना है बाड़ी कस्बे के रहने वाले और पूर्व शिक्षा अधिकारी रहे सुरेंद्र सिंह परमार के पुत्र राहुल सिंह परमार का। वे वर्तमान में इटली के ट्रेस्टे शहर में इलेक्ट्रा रिसर्च लैब में पोस्ट डॉक्टरेट रिसर्च एसोसिएट के पद पर तैनात हैं। 10वीं और 12वीं के दौरान बाड़ी और धौलपुर के स्कूलों में पढ़ाई करने वाला एक विद्यार्थी बीटेक और एमटेक करने के बाद फिजिक्स के क्षेत्र में वैज्ञानिक बनने के लिए इटली चला गया, जहां उसने लिथियम एंड सोडियम आयन बैटरी के सर्किट स्टडी पर शोध कार्य किया व डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
उनका प्रयास रहा कि जो बैटरी काम में ली जाती है, वह सैनिकों के साथ आम लोगों के लिए कम वजनदार और अधिक चलाऊ कैसे बने। इस पर 3 वर्षों तक मेहनत की। कई देशो में वैज्ञानिकों की सेमिनार अटेंड की। शोध कार्य पूरा होने के बाद कोरोना के बीच उसने वायरस को लेकर भी कई बिन्दुओं को विज्ञान से समझने का प्रयास किया।
वर्तमान में राहुल सिंह परमार इलेक्ट्रा रिसर्च लैब में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और उनका बच्चों से कहना है कि साइंस एवं तकनीकी को गंभीरता से लेना चाहिए। 12वीं विज्ञान विषय लेते समय इसे होड़ में या दिखावे के तौर पर नहीं लेना चाहिए। न ही किताबी ज्ञान तक सीमित रहना चाहिए। विज्ञान को व्यवहार में अपनाना चाहिए, तब ही इसकी वास्तविक गहराई का पता लगता है। अपने गृह जिले के बाड़ी कस्बे में बिना बुक का स्कूल खोलने का उनका सपना है। जिसमें बच्चों को किताबों का ज्ञान ना कराकर व्यवहारिक ज्ञान पर विज्ञान को आधारित बनाया जाएगा। जिससे देश में विज्ञान तरक्की कर सके और भारत उन देशों में शामिल हो सके, जो विज्ञान के आधार पर दुनिया के बादशाह बने बैठे हंै।

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