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Innovation: यूनिवर्सिटी उगा रही सब्जियां, बनाया ये शानदार गार्डन

locationअजमेरPublished: Dec 03, 2020 09:50:03 am

Submitted by:

raktim tiwari

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने महंगाई का तोड़ निकाला है। यहां कुलपति निवास के सामने ऑर्गेनिक वेजिटेबल गार्डन तैयार हो रहा है।

organic farm in mdsu

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

महंगाई से आम आदमी परेशान है। प्याज और हरी सब्जियों सहित जरूरी रसोई से जुड़ी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय ने महंगाई का तोड़ निकाला है। यहां कुलपति निवास के सामने ऑर्गेनिक वेजिटेबल गार्डन तैयार हो रहा है। इसमें कई तरह की सब्जियां उगाई गई हैं। इनका इस्तेमाल भविष्य में हॉस्टल और गेस्ट हाउस में किया जाएगा।
1987 में स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में गार्गी गल्र्स हॉस्टल, नचिकेता बॉयज हॉस्टल, कुलपति आवास, श्रद्धानंद गेस्ट हाउस और अन्य संसाधन उपलब्ध हैं। कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल विद्यार्थी हॉस्टल में नहीं हैं। प्रतिवर्ष हॉस्टल में छात्राएं रहती हैं। इनके लिए नाश्ता, सुबह-शाम का भोजन मैस में बनता है।
वक्त के साथ बढ़ रहा खर्चा
महंगाई के साथ हॉस्टल में आटा, दाल, दूध-चाय, शक्कर, चावल, घी-तेल सहित सब्जियों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। छात्राओं को पर्याप्त और गुणवत्तायुक्त भोजन मुहैया कराना विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है। तय फीस में छात्राओं के लिए नियमित भोजन मुहैया कराना चुनौती है। स्वायत्तशासी संस्था होने से विश्वविद्यालय बेतहाशा फीस नहीं बढ़ा सकता है।
परिसर में उगाई सब्जियां
कुलपति आवास के समक्ष उद्यान और खाली भूखंड है। यहां वेजिटेबल गार्डन विकसित किया गया है। इसमें में गोभी, लौकी, टमाटर, मिर्ची, पालक, मूली, आलू, फली, भिंडी और अन्य सब्जियां उगाई जा रही हैं। नर्सरी के लिए पानी की व्यवस्था भी गई है।
पेड़ों की पत्तियों का खाद
सब्जियों के लिए विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक खाद तैयार किया है। परिसर में नीम, अमलताश, कचनार सहित प्रजातियों के पेड़-पौधों की बहुतायत है। इनकी पत्तियों और गोबर से प्राकृतिक खाद तैयार किया जा रहा है। यह खाद पेड़-पौधों और सब्जियों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही है। जूलॉजी विभाग के गार्डन में केंचुए की खाद भी तैयार हो रही है।
अपनाए मिल्च पद्धति तो फायदा….
विश्वविद्यालय को कायड़ रोड पर 700 बीघा जमीन आवंटित की गई है। इसके आधे हिस्से खाली पड़े हैं। यहां मिल्च पद्धति से कम लागत और कम सिंचाई में अच्छी सब्जियां-फलों की पैदावार हो सकती है। इसके तहत पारंपरिक मिल्च घास व हाईटेक मिल्च प्लास्टिक की होती है। इसमें सब्जी उगाते समय पौधों को प्लास्टिक की मल्च से ढका जाता है। सिंचाई के लिए अंदर ड्रॉप सयंत्र लगाया जाता है। इससे पौधे को बंदू-बूंद पानी की सिंचाई मिलती है।
फैक्ट फाइल
विवि की स्थापना-1987
परिसर में विद्यार्थी-1100
शैक्षिक स्टाफ-17
अधिकारी-कर्मचारी-170

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