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Innovative scheme: शहरों में शानदार जॉब्स, इस शानदार स्कीम में छुपा है मंत्र

locationअजमेरPublished: Nov 24, 2020 10:50:09 am

Submitted by:

raktim tiwari

मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में मिल सकते हैं रोजगार। शहरी इलाकों में कई कौशल-तकनीकी आधारित उद्यम हैं माध्यम।

employment in urban areas

employment in urban areas

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

युवाओं को रोजगार देने में शहरी रोजगार गारंटी योजना मददगार बन सकती है। शहरी क्षेत्रों में मैकेनिक, कारीगर, टेलर, टैक्सी संचालन जैसे कई संगठित और असंगठित रोजगार हैं। इन्हें मनरेगा की तर्ज पर 100 या 150 दिवसीय कार्ययोजना में जोड़ा जाए तो बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक संभलेगी। घरेलू विकास दर (जीडीपी) में भी इजाफा होगा। केवल शहरी इलाकों में कौशल-तकनीकी आधारित कामकाज को चिन्हित करने उनमें रोजगार सृजन की जरूरत है।
25 मार्च से 20 मई तक रहे देशव्यापी लॉकडाउन सेयुवाओं, दिहाड़ी मजदूरों, कुशल, अद्र्धकुशल श्रमिकों,पारम्परिक उद्यम और गैर संगठित क्षेत्र के लोगों पर विपरीत असर पड़ा। शहरी इलाकों में भारी उद्योग, फैक्ट्री-कारखाने, दफ्तर बंद हो गए। बेरोजगारी दर बढ़कर 27.11 प्रतिशत हो गई थी।
अनलॉक से बदले हाल….
जून से नवंबर तक देश अनलॉक 1.0 से 5.0 तक सफर पूरा कर चुका है। औद्योगिक इकाइयां, फैक्ट्री-कारखाने, दफ्तर खुल चुके हैं। ट्रक-ट्रेलर चलने से माल का लादान-परिवहन बढ़ा है। भवन निर्माण, कृषि और छोटे-मझौले उद्यमों, कुटीर उद्योग में कामगारों- श्रमिकों सहित प्रशिक्षित युवाओं-लोगों को रोजगार मिल रहे हैं। जून से 15 नवंबर तक बेरोजगारी दर (27.11) में 5.45 प्रतिशत की गिरावट आई है।
मनरेगा ने थामा ग्रामीण भारत
2005 में शुरू हुई महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना कोरोना संक्रमण में ग्रामीण भारत के लिए मददगार साबित हुई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार केंद्र सरकार ने मनरेगा में 40 हजार करोड़ बजट आवंटित किया है। इससे ग्रामीण इलाकों में 1.96 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है।
शहरी रोजगार गारंटी योजना की जरूरत
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के लघु उद्यमिता एवं कौशल विकास केंद्र निदेशक डॉ. आशीष पारीक ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में आईआईटी, आईआईएम, विधि, प्रबंधन, चिकित्सा, डिप्लोमा, आईटीआई सामाजिक विज्ञान और अन्य पाठ्यक्रमों में लाखों युवा अध्ययरत हैं। कुशल-अद्र्ध कुशल श्रमिक, मैकेनिक, कारीगर, दस्तकार, बढ़ई और अन्य लोग कार्यरत हैं। इन्हें डिग्री-हुनर के अनुसार रोजगार मुहैया कराने के लिए शहरी रोजगार गारंटी योजना की आवश्यकता है।
शहरों में इन क्षेत्रों में रोजगार
ऑटोमोबाइल: वाहन मैकेनिक और सर्विस सेंटरमाइंस एंड मिनरल-पत्थर पिसाई, स्टोन क्रेशर, खनिज शोधन
सिविल और कंस्ट्रक्शन-डिग्री धारक ठेकेदार, कारीगर, बेलदार और श्रमिकमेडिकल एन्ड हैल्थ-दवा विक्रेता, ऑनलाइन दवा सप्लाई
पैकेजिंग एंड डिस्ट्रिब्यूशन-सामान की पैकिंग, डिलीवरी और वितरण
टूर एंड ट्रेवल-टैक्सी चालक,गाइड, होटल वेटर, शेफ, रूम क्लीनिंग
कृषि-बागवानी-छोटे-मझौले किसान, खेतों की निराई-गुड़ाई, बीज-फसल संरक्षण
ईवेंट मैनेजमेंट-शादी-समारोह, जन्मदिन-सालगिरह के आयोजन, सामान सप्लाई
फैशन डिजाइनिंग: टेलरिंग, कपड़े की कटिंग-डिजाइनिंग, रंगाई-छपाई
इलेक्ट्रिक फिटिंग: घरेलू-औद्योगिक वायरिंग, मोटर वाइंडिंग-मरम्मत
हार्ड वेयर-लोहे के औजारों का निर्माण-विक्रय, वेल्डिंग, पीतल-तांबा बर्तन निर्माण
ज्वैलरी-सोने, चांदी और हीरे की कटिंग-डिजाइनिंग, निर्माण, क्रय-विक्रय
(मदस विवि के मैनेजमेंट विभाग के अनुसार)
2021-22 का संभावित बिजनेस इम्पैक्ट….
बैंकों का एनपीए रहने की उम्मीद -1.5 से 3.5 प्रतिशत
बढ़ेगा सर्विस सेक्टर निर्यात-5.5 से 7.5 प्रतिशत
सोने के आयात में बढ़ोतरी-55 से 65 प्रतिशत
मोबाइल-आईटी सेक्टर व्यवसाय-45 से 65 प्रतिशत
घरेलू सर्विस सेक्टर में इजाफा-35.2 से 45.2 प्रतिशत
सरकारी सेवाओं में जॉब्स-4.5 से 7.5 प्रतिशत
कॉरपॉरेट सेक्टर में नए जॉब ट्रेंड्स-5.2 से 7.5 प्रतिशत

कोविड-19 संक्रमणकाल में मनरेगा ने ही अर्थव्यवस्था को चरमराने से रोका है। इसी तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना बेहतरीन कदम साबित हो सकती है। शहरों में कुशल-अद्र्धकुशल श्रमिकों, प्रशिक्षित और उच्च डिग्रीधारक युवाओं-लोगों को सौ या 150 दिन का रोजगार मिलेगा तो देश की जीडीपी बढ़ेगी।
डॉ.आर.एन.चौधरी, रीडर लॉ कॉलेज अजमेर
कोरोना पूर्व यानि लॉकडाउन कालखंड में अर्थव्यवस्था ठप थी। बेरोजगारी दर 27.11 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। अनलॉक होने के बाद रोजगारों में 5.45 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। शहरी रोजगार गारंटी योजना पर केंद्र सरकार फोकस करे तो यह निश्चित तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को संबल देगी।
प्रो. शिव प्रसाद, मैनेजमेंट विभागाध्यक्ष मदस विवि

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