सवाल-सवा दो साल के कार्यकाल में क्या सुधार-नवाचार हुए जिनसे अभ्यर्थियों-प्रदेश को फायदा मिला?
उप्रेती-कॉपियों के हर पन्ने पर कंप्यूटरीकृत बार कोड जिसमें अभ्यर्थी की पूरी कुंडली छुपी है, इसका प्रयोग किया। आवेदन से लेकर भर्तियों के मामले में अभ्यर्थी अदालत में याचिकाएं लगाते थे। इन समस्याओं की सुनवाई के लिए आयोग में प्री लिटिगेशन कमेटी बनाई। इससे अभ्यर्थियों को फायदा हुआ।
उप्रेती-कॉपियों के हर पन्ने पर कंप्यूटरीकृत बार कोड जिसमें अभ्यर्थी की पूरी कुंडली छुपी है, इसका प्रयोग किया। आवेदन से लेकर भर्तियों के मामले में अभ्यर्थी अदालत में याचिकाएं लगाते थे। इन समस्याओं की सुनवाई के लिए आयोग में प्री लिटिगेशन कमेटी बनाई। इससे अभ्यर्थियों को फायदा हुआ।
सवाल-साक्षात्कार प्रक्रिया पर कई बार सवाल उठते थे, आपने क्या फार्मूला बनाया जिससे कोई बदलाव हुआ?
उप्रेती-सौ अंकों के साक्षात्कार में पहले अभ्यर्थी से बोर्ड सवाल पूछता था। इससे कई तकनीकी समस्याएं होती थीं। साक्षात्कार को बेहतर और पारदर्शी बनने के लिए प्रक्रिया में बदलाव किया। गया। अब संवीक्षा परीक्षा में प्राप्तांकों का चालीस प्रतिशत भरांक की गणना (40 अंक), अकादमिक के 20 अंक और साक्षात्कार के 40 अंक रखे गए हैं। अकादमिक के 20 अंकों में भीविशिष्ट योग्यता (75 प्रतिशत), प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और केवल उत्तीर्ण की श्रेणी शामिल है। इससे अभ्यर्थी का संपूर्ण मूल्यांकन हो रहा है।
सवाल-आपने कई अहम परीक्षाएं केवल अजमेर में कराईं, जो डीपीसी पहले जयपुर होती उसे भी यहां कराने की शुरुआत की ऐसा क्यों?
उप्रेती-आरपीएससी एक सशक्त संस्थान है। अजमेर में होने से इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ जाती है। अजमेर में प्रतियोगी-संवीक्षा परीक्षाएं कराने से एक तो यहां के ऑटो, टैक्सी, होटल, रिक्शा, रेस्टोरेंट वालों को रोजगार मिला। दूसरा आयोग एक संवैधानिक संस्था है, तो डीपीसी के लिए हम जयपुर क्यों जाएं…। लिहाजा पुलिस, राजस्व, आरएएस और अन्य विभागों की डीपीसी यहां कराने की शुरुआत की। ताकि सबको इस संस्था की प्रतिष्ठा और कामकाज को देखने-समझने का मौका मिले।
उप्रेती-सौ अंकों के साक्षात्कार में पहले अभ्यर्थी से बोर्ड सवाल पूछता था। इससे कई तकनीकी समस्याएं होती थीं। साक्षात्कार को बेहतर और पारदर्शी बनने के लिए प्रक्रिया में बदलाव किया। गया। अब संवीक्षा परीक्षा में प्राप्तांकों का चालीस प्रतिशत भरांक की गणना (40 अंक), अकादमिक के 20 अंक और साक्षात्कार के 40 अंक रखे गए हैं। अकादमिक के 20 अंकों में भीविशिष्ट योग्यता (75 प्रतिशत), प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और केवल उत्तीर्ण की श्रेणी शामिल है। इससे अभ्यर्थी का संपूर्ण मूल्यांकन हो रहा है।
सवाल-आपने कई अहम परीक्षाएं केवल अजमेर में कराईं, जो डीपीसी पहले जयपुर होती उसे भी यहां कराने की शुरुआत की ऐसा क्यों?
उप्रेती-आरपीएससी एक सशक्त संस्थान है। अजमेर में होने से इसकी प्रतिष्ठा और बढ़ जाती है। अजमेर में प्रतियोगी-संवीक्षा परीक्षाएं कराने से एक तो यहां के ऑटो, टैक्सी, होटल, रिक्शा, रेस्टोरेंट वालों को रोजगार मिला। दूसरा आयोग एक संवैधानिक संस्था है, तो डीपीसी के लिए हम जयपुर क्यों जाएं…। लिहाजा पुलिस, राजस्व, आरएएस और अन्य विभागों की डीपीसी यहां कराने की शुरुआत की। ताकि सबको इस संस्था की प्रतिष्ठा और कामकाज को देखने-समझने का मौका मिले।
सवाल-सवा दो साल में ऐसा कोई काम जो आप नहीं कर सके, या ऐसी कोई बाधा जिसने आयोग को परेशान किया हो?
उप्रेती-23 जुलाई 2018 को पदभार संभाला तब आयोग के सामने अभ्यर्थी 8 से 10 जगह टैंट लगाकर आंदोलन कर रहे थे। एक-एक कर उनकी वाजिब मांगों-समस्याओं का सुलझाया। आरएएस 2016 के अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग, सब इंस्पेक्टर/प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा-साक्षात्कार, प्राध्यापक भर्ती, प्रधानाध्यापक भर्ती, कृषि, वरिष्ठ अध्यापक सहित अन्य भर्तियां समय पर पूरी हुई। हजारों अभ्यर्थियों को दो साल में नौकरियां मिली हैं। यही तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। आरएएस 2018 की प्रारंभिक-मुख्य परीक्षा पर लगी याचिकाओं का समाधान हुआ, परिणाम निकले। अब कोई समस्या नहीं है।
उप्रेती-23 जुलाई 2018 को पदभार संभाला तब आयोग के सामने अभ्यर्थी 8 से 10 जगह टैंट लगाकर आंदोलन कर रहे थे। एक-एक कर उनकी वाजिब मांगों-समस्याओं का सुलझाया। आरएएस 2016 के अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग, सब इंस्पेक्टर/प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा-साक्षात्कार, प्राध्यापक भर्ती, प्रधानाध्यापक भर्ती, कृषि, वरिष्ठ अध्यापक सहित अन्य भर्तियां समय पर पूरी हुई। हजारों अभ्यर्थियों को दो साल में नौकरियां मिली हैं। यही तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। आरएएस 2018 की प्रारंभिक-मुख्य परीक्षा पर लगी याचिकाओं का समाधान हुआ, परिणाम निकले। अब कोई समस्या नहीं है।