डॉ. यादव-खुद अध्यक्ष, बोर्ड और विशेषज्ञों को किसी भी अभ्यर्थी के नाम, जाति, रोल नंबर जैसी जानकारी नहीं होती। साक्षात्कार में अभ्यर्थी को काल्पनिक रोल नंबर आवंटित होता है। वह किसका भाई या रिश्तेदार है, इससे आयोग को कोई सरोकार नहीं होता। बोर्ड का कार्य साक्षात्कार में उसकी नॉलेज जांचने और परफॉरमेंस के अनुसार अंक देने तक सीमित होती है।
पत्रिका-क्या साक्षात्कार में सिर्फ बोर्ड के चेयरमेन ही अंक देते हैं, बाकी विशेषज्ञों को कोई अंक देने का अधिकार नहीं होता..?
डॉ. यादव- अभ्यर्थी की परफॉरमेंस उसके औसत, मध्यम या होशियार होना तय करती है। अंक शीट में विशेषज्ञों को अंक देने पड़ते हैं। बाकायदा बोर्ड चेयरमेन और तीनों विशेषज्ञों को शीट पर हस्ताक्षर करने जरूरी होते हैं। बोर्ड चेयरमेन ही यह देखता है, कि किसी स्तर अभ्यर्थी से अन्याय नहीं हो।
पत्रिका-टॉपर मुक्ता के साक्षात्कार में 77 और सिद्धार्थ, गौरव और गरिमा को 82 अंक मिले हैं। कई अभ्यर्थियों को 50 से 70 अंक तक ही मिले। क्या इसका कोई फार्मूला है?
डॉ.यादव-लिखित परीक्षा थ्योरीटिकल और साक्षात्कार नॉलेज का टेस्ट होता है। साक्षात्कार के 100 अंकों को भी चार हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें एकेडेमिक, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के अंकभार होते हैं। कई अभ्यर्थी लिखित परीक्षा तो कई साक्षात्कार में परफॉरमेंस अच्छे अंक प्राप्त करते हैं। साक्षात्कार में अंक देने का एक राइडर भी तय किया जाता है। इससे अधिक अंक देना अनुचित लाभ की श्रेणी में माना जाता है।
पत्रिका– एसीबी को शिकायतें मिली हैं जिसमें कई अभ्यर्थियों ने परीक्षा-साक्षात्कार से पहले 80-80 अंक का दावा किया है?
डॉ. यादव-आरएएस 2018 के साक्षात्कार फुल प्रूफ हुए हैं। आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं। एसीबी की छानबीन जारी है। साक्षात्कार प्रक्रिया में संबंधित सदस्य और विशेषज्ञों के अलावा कोई अधिकारी-कर्मचारी या बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं होता। महज दावों से प्रक्रियाएं निर्धारित नहीं होती हैं।
पत्रिका-जब बोर्ड चेयरमेन-विशेषज्ञों को भी अभ्यर्थियांके नाम-पता नहीं मालूम होता, तो फिर सज्जन और नरेंद्र पोसवाल जैसे लोग किस आधार पर पैसों की डील करते हैं?
डॉ. यादव-साक्षात्कार का गोपनीय कोड से गठन ही इसकी साख और विश्वसनीयता का पैमाना है। यूपीएससी में बोर्ड चेयरमेन और एक्सपर्ट को बाकायदा साक्षात्कार से पह ले अभ्यर्थी के नाम, पते, जाति जैसी सूचनाएं भेजी जाती हैं। जो भी आरोपित हैं, उन्होंने किस आधार पर क्या प्रॉमिस किया, यह तो वही बता सकते हैं।
डॉ. यादव-आयोग भर्तियों में कभी देरी नहीं करना चाहता है। कई पिछली भर्तियों में कार्मिक विभाग से अभ्यर्थनाएं, पदों का ब्यौरा और जवाब स्पष्ट नहीं मिला। बड़े बदलाव परीक्षा या साक्षात्कार के दौरान हुए। यही लिटिगेशन का कारण बने। पेपर आउट के पुराने मामलों में एसओजी ने जांच की उसके अनुरूप कार्रवाई हुई।
पत्रिका-रिश्वतकांड और मंत्री की पुत्रवधु के रिश्तेदारों को अंक देने से आम अभ्यर्थी सशंकित होंगे। क्या आयोग कोई जांच कराएगा?
डॉ. यादव-बोर्ड चेयरमेन और विशेषज्ञ पारदर्शिता और अभ्यर्थियों की परफॉरमेंस के अनुसार अंक देते हैं। यह अंक लिफाफे में सीलबंद होकर गोपनीयता से तत्काल अंडरलॉक रखे जाते हैं। किसी भी अभ्यर्थी को कतई सशंकित होने की आवश्यकता नहीं है। भर्ती परीक्षाओं में अभ्यर्थियों को री-टोटलिंग सहित प्री-लिटिगेशन कमेटी में शिकायत देने का विकल्प मिलता है। गंभीर मामलों अथवा किसी अभ्यर्थना से जुड़े नीतिगत मामलों का निस्तारण खुद फुल कमीशन करता है।
पत्रिका-क्या साक्षात्कार समाप्त किए जा सकते हैं?
डॉ. यादव-आयोग नियमों से बंधा हुआ है। बगैर सरकार से चर्चा या विचार किए आयोग अपने स्तर पर कोई फैसला नहीं कर सकता है।