इसे लेकर जेएलएन अस्पताल के शिशु रोग विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अचला आर्य अभिभावकों को अलर्ट किया है। उनका मानना है कि बच्चों के मुंह में छाले, बुखार या पेटदर्द की शिकायत हो तो हल्के में नहीं लें। तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार करवाएं। पिछले कुछ दिनों से इस तरह की शिकायतें बच्चों में ज्यादा आ रही हैं।
खासकर एेसे परिवारों के बच्चों में यह शिकायत ज्यादा देखने को मिल रही है जिनमें कोई ना कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव रह चुका है। डॉ. अचला आर्य ने ने कहा कि वैसे अभी तीसरी लहर की स्थिति नहीं है, लेकिन सावधानी पहले से रखना जरूरी है।
तीसरी लहर से पूर्व प्रशिक्षण भी आवश्यक डॉ. आर्य ने कहा हालांकि फिलहाल तीसरी लहर जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन हमें पहले से सावधानी बरतनी होगी। तीसरी लहर आए तो उससे निपटने के लिए पूरी तैयारी हो। इसके लिए नर्सिंगकर्मी, पैरामेडिकल स्टाफ, चिकित्सकों को पहले से ही प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण हर स्तर पर आवश्यक है। सेवानिवृति के बाद भी हम प्रशिक्षण के लिए तैयार रहते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में ट्रेनिंग इम्पार्टेंट पार्ट हैं। नए नर्सिंगकर्मी बच्चों को कैन्युला नहीं लगा पाते हैं तो उन्हें तुरंत इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
बच्चे घर से नहीं निकलें डॉ. आर्य के अनुसार छोटे बच्चे ना तो लगातार मास्क लगाए रख सकते हैं, ना वे मास्क की अहमियत समझते हैं, उनमें सोशल डिस्टेंस की पालना करवाना भी मुश्किल है। ऐसे में छोटे बच्चों के चेहरे पर चुन्नी या कपड़ा बांधने की आदत डालें, सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चे घर से बाहर नहीं निकले।