यह है जोरावल बाबा की कहानी मेला कमेटी सदस्य काशीराम लाखा ने बताया संवत 2018 में जोरावल बाबा द्वारा समाधि ली गई थी। जब से ही यहां मेले का आयोजन किया जाता है। जोरावल बाबा एक गृहस्थ थे, लेकिन एक तेजस्वी महापुरुष के रूप में उनकी क्षेत्र में ख्याती थी। उन्होंने संवत 2018 में इस स्थान पर आकर कुछ ग्रामीणों को बुलाया और समाधि के लिए गड्ढा खुदवाना शुरू कर दिया। गड्ढा खोदने के बाद जोरावल बाबा उसमें बैठ गए। अपने चारों ओर दीपक रखवा लिया, जब दीपक को जलाने के लिए ग्रामीणों द्वारा माचिस मंगाने की बात कही, तो उन्होंने अपने तेज से अग्नि प्रज्वलित कर दीपकों को जला दिया और समाधि ले ली। समाधि के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा एक भंडारे का आयोजन कराया गया। प्रतिवर्ष समाधि के दिन यहां मेले का आयोजन किया जाता है ।
लोगों की मान्यता ओलावृष्टि से जोरावल बाबा करते हैं क्षेत्र की रक्षा
जोरावल बाबा की समाधि से सटे क्षेत्र के ग्रामीण लोगों में ऐसी मान्यता है कि क्षेत्र में ओलावृष्टि से जोरावल बाबा हमेशा ही किसानों की रक्षा करते हैं। संवत 2018 से क्षेत्र में ओलावृष्टि से किसानों की फसल में कभी नुकसान नहीं हुआ है। ग्रामीणों की मान्यता है, फिर जब भी ओलावृष्टि की संभावना होती है। जोरावल बाबा का नाम लेते ही क्षेत्र से ओलावृष्टि ओजल हो जाती है। कुछ ग्रामीणों की तो ऐसी मान्यता है कि जोरावल बाबा ने समाधि लेते समय क्षेत्र के किसानों को यह वरदान दिया था कि कभी भी ओलावृष्टि से किसानों की फसल नष्ट नहीं होगी।
जोरावल बाबा की समाधि से सटे क्षेत्र के ग्रामीण लोगों में ऐसी मान्यता है कि क्षेत्र में ओलावृष्टि से जोरावल बाबा हमेशा ही किसानों की रक्षा करते हैं। संवत 2018 से क्षेत्र में ओलावृष्टि से किसानों की फसल में कभी नुकसान नहीं हुआ है। ग्रामीणों की मान्यता है, फिर जब भी ओलावृष्टि की संभावना होती है। जोरावल बाबा का नाम लेते ही क्षेत्र से ओलावृष्टि ओजल हो जाती है। कुछ ग्रामीणों की तो ऐसी मान्यता है कि जोरावल बाबा ने समाधि लेते समय क्षेत्र के किसानों को यह वरदान दिया था कि कभी भी ओलावृष्टि से किसानों की फसल नष्ट नहीं होगी।