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बिजनेस की पढ़ाई के बाद ज्योति ने चुना वैराग्य पथ

locationअजमेरPublished: Apr 26, 2019 02:23:44 am

Submitted by:

dinesh sharma

दीक्षार्थी ज्योति लुणावत ने कहा, जीवों की रक्षा के लिए अपनाया वैराग्य, दीक्षा महोत्सव 13 मई को बैंगलूरू में

Jyoti choose different path after studying business

किशनगढ़ की बेटी ने चुना वैराग्य का मार्ग

मदनगंज-किशनगढ़ (अजमेर).

किशनगढ़ के ओसवाली मोहल्ला निवासी मार्बल व्यवसायी प्रकाश लुणावत की पुत्री दीक्षार्थी ज्योति लुणावत जीवों की रक्षा के लिए वैराग्य का मार्ग अपना रही हैं। उनका दीक्षा महोत्सव 13 मई को बैंगलूरु स्थित राज राजेश्वरी कल्याण मंडप में होगा।
जैन समाज की ओर से उनके स्वागत और अभिनंदन कार्यक्रम प्रारंभ हो गए हैं। धूमधाम से उनका वरघोड़ा निकाला गया। इसमें समाज के लोगों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। राजस्थान पत्रिका ने दीक्षा ले रही ज्योति लुणावत से की बातचीत।
प्रश्न- आपके परिवार में कौन-कौन है और आपने पढ़ाई कहां तक की।

– पिता का नाम प्रकाश लुणावत है और वह मार्बल व्यवसायी है। माता का नाम बेला लुणावत है। मेरा जन्म 27 अक्टूबर 1994 में किशनगढ़ में हुआ। चार बहनें हैं। इसमें बड़ी बहन दीपिका की शादी हो गई है। दूसरे नम्बर पर मैं हूं और श्रेया और वंशिका छोटी बहनें हैं। मैनें बीकॉम तक पढ़ाई की है।
प्रश्न – युवा अवस्था में ही वैराग्य का मार्ग अपनाने का निर्णय कब लिया।

– पिछले चार साल से ही वैराग्य काल अपना रखा है। अभी तक 1500 किलोमीटर विहार कर चुकी हूं, साथ ही धार्मिक अध्ययन भी किया है। जैन संतों के चातुर्मास के दौरान पता चला कि असली जीवन क्या है।
प्रश्न – वैराग्य अपनाने का ही निर्णय क्यों लिया।

– जैन धर्म में 84 लाख जीव योनी बताई गई है। सभी में आत्मा है और सभी समान होती हैं। हम किसी जीव को मारते हैं तो उसे भी दर्द होता है। स्वयं के लगने पर ही दर्द का अहसास होता है। जीवों की रक्षा और अभयदान देने के लिए वैराग्य का मार्ग अपनाया।
प्रश्न – यह प्रेरणा कैसे मिली। परिवार में भी किसी ने यह मार्ग अपनाया क्या।

– संतों का सानिध्य तो शुरू से मिलता रहा, लेकिन एक चातुर्मास के दौरान मालूम पड़ा कि असली जीवन क्या है। परिवार में (बहन) तरुण तपस्विनी महासती नियम प्रभा पहले ही दीक्षित हैं। आचार्य विजयराज महाराज की प्रेरणा से ही दीक्षा लेने का निर्णय लिया।
प्रश्न – युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी।

– संसार में सभी लोग दीक्षा नहीं ले सकते, लेकिन सभी को जीव रक्षा करनी चाहिए। उन्हें अभयदान देना चाहिए। दर्द सभी को होता है। जीवों की रक्षा करो यही संदेश है।
साधना का मार्ग कठिन पर अच्छा है

दीक्षार्थी ज्योति के पिता प्रकाश लुणावत और मां बेला लुणावत ने कहा कि वैराग्य का मार्ग बहुत कठिन है। माता-पिता इस मार्ग पर नहीं भेज पाते हैं। पिछले समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानी। इन चीजों को समझते हुए और ज्योति की भावना का आदर करते हुए संयम पथ पर भेजने का निर्णय लिया। यह मार्ग कठिन होता है, लेकिन होता अच्छा है।
किशनगढ़ से एक मई को होगी विदाई

दीक्षार्थी ज्योति लुणावत को वैराग्य का मार्ग अपनाने के लिए २३ फरवरी को छत्तीसगढ़ में आचार्य विजयराज को आज्ञा पत्र सौंपा। २३ अप्रेल को किशनगढ़ में वरघोड़ा निकाला गया। वर्तमान में मंगलगीत और स्वागत आदि कार्यक्रम किए जा रहे है। एक मई को दीक्षा के लिए घर से विदाई होगी।
यह रहेगा दीक्षा कार्यक्रम

बैंगलूरु के साधुमार्गी शांतक्रांति जैन श्रावक संघ की ओर से दीक्षा कार्यक्रम के तहत 12 मई को सुबह 8 बजे बड़ी बिन्दौली श्रीरामपुरम जैन स्थानक से दीक्षा स्थल तक निकाली जाएगी। 13 मई को सुबह 8 बजे रत्न हितेषी श्रावक संघ के नव निर्मित भव से महाभिष्क्रिमण यात्रा निकाली जाएगी।

बैंगलूरु के राज राजेश्वरी कल्याण मंडप, राजाजी नगर द्वितीय ब्लॉक में सुबह 9 से 11 बजे तक संयम पाठ के बाद दीक्षा दी जाएगी। दीक्षा मुनि विनोद ठाणा तीन देंगे। इस दौरान मृदुलाश्री और मणिप्रभा आदि ठाणा उपस्थित रहेंगी।

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