गौरतलब है कि विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए पेयजल का संकट होने को लेकर पिछले एक साल से विद्यालय प्रशासन द्वारा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लिखित में जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नही किए जाने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
पानी को तरसी टंकी
ग्राम गुढ़ा को राज्य सरकार ने बीसलपुर योजना से जोड़ा था। गांव में जलापूर्ति के लिए लाखों रुपए की लागत से पानी की टंकी का निर्माण भी कराया था, लेकिन करीब तीन साल बाद भी मात्र एक बार गांव में जलापूर्ति की गई है। टंकी गांव में प्रर्दशनी का नमूना बनकर रह गई। दूसरी ओर दूषित व खारे पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं।
ग्राम गुढ़ा को राज्य सरकार ने बीसलपुर योजना से जोड़ा था। गांव में जलापूर्ति के लिए लाखों रुपए की लागत से पानी की टंकी का निर्माण भी कराया था, लेकिन करीब तीन साल बाद भी मात्र एक बार गांव में जलापूर्ति की गई है। टंकी गांव में प्रर्दशनी का नमूना बनकर रह गई। दूसरी ओर दूषित व खारे पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं।
सरकारी विद्यालय में मात्र शिक्षिका होने से बच्चों को परेशानी हो रही है। विद्यालय में पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों का हाल बेहाल है। इन समस्याओ को लेकर विभाग को अवगत कराने के बाद भी हालात जस के तस हैं।
गोपाल गुर्जर, ग्रामीण विद्यालय में लगा हैंडपम्प पिछले तीन साल से खराब पड़ा है। इसको लेकर कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से बच्चों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है।
नारायण लाल गुर्जर, ग्रामीणगावं में पिछले तीन साल से पानी की टंकी होने के बाद भी जलापूर्ति शुरू नहीं किए जाने से ग्रामीणों को पानी की एक एक-एक बूंद के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
नारायण लाल गुर्जर, ग्रामीणगावं में पिछले तीन साल से पानी की टंकी होने के बाद भी जलापूर्ति शुरू नहीं किए जाने से ग्रामीणों को पानी की एक एक-एक बूंद के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
सुगन गुर्जर