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शिक्षा के मामले में तंग ये नगरी, इस समुदाय के लोगों में शिक्षा की जोत तो जली लेकिन लौ उठना अभी है बाकी

locationअजमेरPublished: Jun 15, 2018 01:59:38 pm

Submitted by:

सोनम

मुस्लिमों में शिक्षा के प्रति तंग-नजरी हालांकि हमेशा चर्चा में रही है। लेकिन हाल ही आए नीट सहित विभिन्न परीक्षा परिणामों पर नजर डाली जाए

kids of this community is still not taking proper education

शिक्षा के मामले में तंग ये नगरी, इस समुदाय के लोगों में शिक्षा की जोत तो जली लेकिन लौ उठना अभी है बाकी

अजमेर. मुस्लिमों में शिक्षा के प्रति तंग-नजरी हालांकि हमेशा चर्चा में रही है। लेकिन हाल ही आए नीट सहित विभिन्न परीक्षा परिणामों पर नजर डाली जाए तो देश ही नहीं बल्कि शैक्षणिक व धार्मिक नगरी अजमेर के मुस्लिम समाज में भी शिक्षा के प्रति जबरदस्त रुझान नजर आया है। खास बात यह है कि बदलाव की इस बयार में मुस्लिम लड़कियां भी पीछे नहीं हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि शिक्षा के प्रति यह रुचि सीमित परिवारों में ही दिख रही है। इस समुदाय का एक बड़ा वर्ग अब भी शिक्षा से वंचित है।

यह खुशी की बात है कि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में पिछले साल मुस्लिम छात्रा यास्मीन बानो ने संस्कृत में गोल्ड मैडल हासिल किया। वहीं ऊर्दू में अनीस फातिमा को गोल्ड मैडल मिला। मगर यूनिवर्सिटी में पढऩे वाली मुस्लिम लड़कियों की संख्या पर नजर डाली जाए तो वह कुल विद्यार्थियों की 0.5 प्रतिशत भी नहीं है। वहीं मुस्लिम छात्रों की संख्या भी कोई खास नहीं है।
इसी तरह अजमेर की विभिन्न स्कूलों में हालांकि पिछले सालों की तुलना में मुस्लिम छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ी है। दरगाह कमेटी की ओर से ख्वाजा मॉडल स्कूल और अंजुमन की ओर से उस्मानिया ख्वाजा स्कूल भी संचालित की जा रही हैं। इसके बावजूद कई बालक-बालिकाएं ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक स्कूल की दहलीज पर कदम नहीं रखे हैं। कई बच्चे ऐसे हैं जो केवल मदरसों तक की ही पढ़ाई कर पाते हैं।
यही यहां के मुस्लिम बुद्धिजिवियों की चिंता का सबसे बड़ा कारण है। उनका मानना है कि शिक्षा के प्रति जागृति आई है, इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन इसे महज शुरुआत कहा जा सकता है। ऐसे में मुस्लिम समुदाय में अगर शिक्षा के प्रति क्रांतिकारी बदलाव लाना है तो समाज में झिझक मिटानी होगी और हर बच्चे-बच्चियों को स्कूल भेजना होगा।
अवसर मिले तो नहीं रहेंगे पीछेमुस्लिम छात्र-छात्राओं को अगर अवसर मिले तो वे फायदा उठाने में पीछे नहीं रहेंगे। विशेषकर लड़कियों को अगर ज्यादा अवसर दिए जाएं तो वे बेहतर तरीके से परफोर्म कर पाएंगी। शिक्षा के प्रति पहले के मुकाबले काफी जागरुकता आई है लेकिन इसे महज शुरुआत ही कहा जा सकता है।
-शकील अहमद चिश्ती, सेवानिवृत्त अधिकारी

मुस्लिम छात्र-छात्राएं शिक्षा तो ले रहे हैं, लेकिन विजन एजुकेशन के प्रति जज्बा नजर नहीं आ रहा। लड़कियों की बात की जाए तो सामाजिक तानों से बचने के लिए सिर्फ दिखावे के लिए पढ़ाया जा रहा है, क्वालिटी एजुकेशन वाली बात नहीं है। जबकि प्रोपर गाइड लाइन बच्चों को मिलनी चाहिए।

– डॉ. मोहम्मद आदिल

मुस्लिम शिक्षा की ओर अग्रसर हो रहे हैं। नीट में भी कई बच्चे अच्छी रेंक लेकर आए हैं। दसवीं-बारहवीं में भी 97 प्रतिशत अंक आए हैं। उस्मानिया ख्वाजा स्कूल का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है, लेकिन अभी काफी जागरुकता की दरकार है। – सैयद अबु तालिब, सचिव उस्मानिया ख्वाजा स्कूलपहले के मुकाबले जागृति कही जा सकती है, लेकिन टारगेट एचिव नहीं कर रहे। बीच में पढ़ाई छोड़ रहे हैं। सरकार को शिक्षा में स्कॉलरशिप और पर्मोशन देना चाहिए। मुस्लिमों में शिक्षा के प्रति जागृति आएगी तो समाज और देश की तरक्की होगी। – सैयद सरवर चिश्ती, पूर्व सचिव अंजुमन
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