दिवंगत मेघवाल को नाम लेकर हुए भावुक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिवंगत मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल का जिक्र करते हुुए भावुक हो गए। कुछ सैकंड रुकने के बाद रुंधे गले से कहा कि हमने एक अच्छा साथी खो दिया। हम दोनों के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1977 से हुई थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के चारों उपचुनाव हमारे लिए चुनौती है। गहलोत ने अपने 23 मिनट के भाषण में राज्य सरकार की उपलब्धियों, केन्द्र सरकार का विरोध और किसान आंदोलन का जिक्र किया।
पास होकर भी दूर नजर आए गहलोत-पायलट किसान सम्मेलन को संबोधित करने के लिए गहलोत व पायलट एक हैलीकॉप्टर में जरूर आए लेकिन मंच पर दूरियां ही दिखीं। यही नहीं दोनों ही नेताओं ने अपने संबोधन में एक दूसरे का नाम तक नहीं लिया। पायलट ने अपने भाषण में कांग्रेस सरकार की उपलब्धियां जरूर गिनाईं। मंच पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा व प्रदेश प्रभारी अजय माकन के बीच में गहलोत बैठे थे। सम्मेलन में जितने भी होर्डिंग व बैनर लगाए गए, उनमें सचिन पायलट की फ ोटो कहीं नजर नहीं आया।
सरकारों का काम जिद नहीं, राहत प्रदान करना गहलोत ने अपने भाषण में केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लिया। गहलोत ने कहा कि धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन देना तो लोकतंत्र का सबसे खूबसूरत गहना है, लेकिन केन्द्र सरकार के हठधर्मी रवैये के कारण देश में अराजकता का माहौल हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकारों का काम जिद करना नहीं, बल्कि जनता को राहत प्रदान करना है। गहलोत ने कहा कि राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पांडुचेरी के मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा था लेकिन नहीं दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार किस तरह कार्य कर रही है। इस प्रकार का दंभ अच्छी बात नहीं है।
कांग्रेसराज में एक लाठी नहीं चली उन्होंने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि इनके शासन में प्रदेश में 21 बार गोलियां चली, 90 लोग प्रदेश में मारे गए, लेकिन कांग्रेस सत्ता में आई तो लाठीचार्ज तक नहीं किया गया। मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य सरकार की ओर से पारित किए गए तीन बिलों का जिक्र कर कहा कि सरकार ने तीन बिल पारित कर अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भिजवाए हैं। यह बिल किसानों के हित वाले हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से उन पर विचार नहीं किया गया है। राज्यपाल भी दबाव में हैं।
नोटों वाले मित्रों के वजीर बन गए मोदी : डोटासरा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि केन्द्र की सरकार ने किसान नेताओं से वार्ता किए बिना ये तीन कृषि बिल लागू कर दिए। पीएम मोदी चंद उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए ये तीन बिल लागू कर रहे हैं। यही लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटों वाले चंद मित्रों के वजीर बन गए हैं। डोटासरा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए।
पेट्रोल-डीजल ने किया परेशान पायलटकिसान सम्मेलन में सचिन पायलट ने केन्द्र सरकार को कोसा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेट्रोल और डीजल के भाव आसमान छू रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। पायलट ने भी राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल के पास भेजे गए तीन बिलों का जिक्र किया और कहा कि देखते हैं कि कब स्वीकृति मिलती है।