राजघराना है सावर
पूर्व सरपंच एवं पंचायत समिति सदस्य पुष्पेंद्र सिंह शक्तावत ने बताया कि सावर राजघराना है। सावर के गढ़ में शक्तावत परिवार के लोग निवास करते हैं। इसी के साथ किले के पास जैन समाज का चंद्रगिरी अतिशय क्षेत्र है, जहां पर जैन समाज के श्रद्धालु दर्शन के लिए आते जाते रहते हैं। इससे किले और धार्मिक स्थल चंद्रगिरी आतिश क्षेत्र की रौनक बनी हुई है। चंद्रगिरी आतिश क्षेत्र धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर जैन समाज का बड़ा धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता रहता है।
पूर्व सरपंच एवं पंचायत समिति सदस्य पुष्पेंद्र सिंह शक्तावत ने बताया कि सावर राजघराना है। सावर के गढ़ में शक्तावत परिवार के लोग निवास करते हैं। इसी के साथ किले के पास जैन समाज का चंद्रगिरी अतिशय क्षेत्र है, जहां पर जैन समाज के श्रद्धालु दर्शन के लिए आते जाते रहते हैं। इससे किले और धार्मिक स्थल चंद्रगिरी आतिश क्षेत्र की रौनक बनी हुई है। चंद्रगिरी आतिश क्षेत्र धार्मिक आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर जैन समाज का बड़ा धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता रहता है।
मार्बल खानों से है पहचान
साथ ही किले और चंद्रवती क्षेत्र के आसपास मार्बल की खानें हैं जिस से भी यहां की पहचान बनी हुई है। सावर में मार्बल खनन कार्य से आसपास के गांव के लोगों सहित अन्य शहरों के लोगों को यहां पर खाने में रोजगार मिला हुआ है। लोग मार्बल के रोजगार से जुड़ने के कारण उनका पेट पलता है और रोजी रोटी चल रही है। मार्बल खदानों से निकलने वाला मार्बल किशनगढ़ से राजसमंद उदयपुर चित्तोड़गढ़ जयपुर-दिल्ली विदेशों में भेजा जाता है।
साथ ही किले और चंद्रवती क्षेत्र के आसपास मार्बल की खानें हैं जिस से भी यहां की पहचान बनी हुई है। सावर में मार्बल खनन कार्य से आसपास के गांव के लोगों सहित अन्य शहरों के लोगों को यहां पर खाने में रोजगार मिला हुआ है। लोग मार्बल के रोजगार से जुड़ने के कारण उनका पेट पलता है और रोजी रोटी चल रही है। मार्बल खदानों से निकलने वाला मार्बल किशनगढ़ से राजसमंद उदयपुर चित्तोड़गढ़ जयपुर-दिल्ली विदेशों में भेजा जाता है।
होली, दीपावली और राखी जैसे त्यौहारों पर लोग पहुंचते हैं यहां
सावर के किले और गढ़ की पहचान अलग है। यहां पर लोग अभी भी होली, दीपावली और राखी के त्यौहार पर गढ़ में आते हैं और शक्तावत परिवार के लोगों से मुलाकात करके आपसी प्रेम की भावना कायम करते हैं। सावर में गढ़ किले के साथ-साथ यहां पर राजमार्ग 26 निकला हुआ है, लेकिन लोगों को आने जाने में कोई परेशानी नहीं होती है। सावर में तहसील कार्यालय है लेकिन उपखंड कार्यालय नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। उपखंड कार्यालय के कामकाज के लिए लोगों के घर जाना पड़ता है। सावर में राज घराने की पुरानी परंपरा आज भी कायम है।