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अजमेर

जाने क्या हुई बात! धौलपुर फिर रह गया खाली हाथ

– मंत्रिमंडल फेरबदल: धौलपुर को नहीं मिली मुख्यमंत्री से सौगात- आस-पास के जिलों से बने मंत्री
– तीन विधायक, जिला प्रमुख सहित लगभग सभी पंचायत समितियों, नगर परिषद, नगरपालिकाओं में कांग्रेस का परचम – फिर भी नहीं मिला उचित सम्मान
राज्य में रविवार को हुए मंत्रिमंडल पुनर्गठन में धौलपुर के लिए कुछ नया नहीं हुआ है। एकबार फिर धौलपुर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। मंत्रिमंडल फेरबदल में धौलपुर फिर खाली हाथ रहा है।

अजमेरNov 22, 2021 / 12:34 am

Dilip

congress party

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धौलपुर. राज्य में रविवार को हुए मंत्रिमंडल पुनर्गठन में धौलपुर के लिए कुछ नया नहीं हुआ है। एकबार फिर धौलपुर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। मंत्रिमंडल फेरबदल में धौलपुर फिर खाली हाथ रहा है। जबकि, आस-पास के जिलों को झप्पर फाड़ के दिया गया है। हालात यह हैं कि जिलेवासी मंत्रिमंडल में धौलपुर के शामिल होने की आस लगाए बैठे थे, अब अनदेखी पर खफा हैं। अब लोगों को लग रहा है कि सलाहकार या संसदीय सचिव की ‘मीठी गोलीÓ से धौलपुर को बहलाया जाएगा। जिले के लोगों के मन में संदेह है कि आखिर ऐसी क्या बात हुई है कि जिले को खाली हाथ रहना पड़ा है। जबकि आस-पास के जिलों में कम से कम एक या उससे भी अधिक मंत्री बनाए गए हैं। भरतपुर में तो अब चार विधायक मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं। वहीं संभाग के करौली जिले से भी मंत्री बनाया गया है।
चार में से तीन विधायक

धौलपुर जिले की चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। वहीं, जिला प्रमुख भी कांग्रेस की हैं। छह में से चार पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान हैं। एक पंचायत समिति में भी कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रधान है। नगर परिषद धौलपुर में कांग्रेस की सभापति हैं। जिले की सभी नगरपालिकाओं में कांग्रेस के चेयरमैन हैं। इस सब के बावजूद मंत्रिमंडल में धौलपुर को प्रतिनिधित्व नहीं मिलना जिले के लोगों को खासा अखर रहा है।
लंबे समय से मंत्रिमंडल में स्थान नहीं

धौलपुर जिले को लंबे समय के राज्य मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है। कहने को पूर्व मुख्यमंत्री धौलपुर से हैं लेकिन, वे झालावाड़ से चुनाव लड़ती हैं। ऐसे में धौलपुर की झोली इस हिसाब से करीब-करीब खाली ही रही है। जबकि पूर्व में प्रद्युम्न सिंह कई सरकारों में गृह और वित्त जैसे विभागों के मंत्री रहे हैं। वहीं, बनवारीलाल शर्मा भी मंत्री रह चुके हैं।
क्यों रहे खाली हाथ
रोहित बोहरा: राजाखेड़ा विधायक बोहरा पहली बार के विधायक हैं। ऐसे में उनका मंत्री बनना लगभग नामुमकिन था। वैसे भी उनके पिता प्रद्युम्न सिंह छठे राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष हैं। एक ही परिवार में दो पद मिलना बेहद मुश्किल था। ऐसे में लोगों को बोहरा के मंत्री बनने की उम्मीद भी नहीं थी।
गिर्राज सिंह मलिंगा: मलिंगा लगातार तीसरी बार बाड़ी से विधायक हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इनकी नजदीकियां देख लोगों को मलिंगा के मंत्री बनने की पूरी उम्मीद थी। हाल ही बाड़ी के सिंगरोई गांव आए मुख्यमंत्री ने सभा में कहा भी था कि मुश्किल के वक्त साथ देने वालों को वे भूलेंगे नहीं। ऐसे में लोगों को मलिंगा के मंत्री नहीं बनने पर खासा अचरज हुआ है।
खिलाड़ीलाल बैरवा: बैरवा पहली बार बसेड़ी से विधायक बने हैं लेकिन, वे पूर्व में सांसद रह चुके हैं। दलित चेहरे के रूप में इनके मंत्रिमंडल में शामिल होने की सभी को उम्मीद भी थी। इनका नाम भी अंत तक संभावित मंत्री के रूप में चल रहा था लेकिन, ऐनवक्त पर बैरवा को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। हालांकि इसके पीछे क्षेत्र में इनका विरोध और पंचायत चुनाव में सरमथुरा में मिली हार को भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
मिल सकती है लॉलीपॉप

मंत्रिमंडल में खाली हाथ रहे धौलपुर को अब ‘लॉलीपॉपÓ के रूप में संसदीय सचिव या मुख्यमंत्री के सलाहकार का पद दिया जा सकता है। जिले के लोगों को अच्छी तरह मालूम है कि इन पदों का कोई महत्व नहीं है। सिर्फ संतुष्ट करने के लिए यह पद दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि जिन्हें मंत्री पद नहीं मिल पाया है उन्हें भी जल्द एडजस्ट करेंगे। ऐसे में धौलपुर को महज ‘एडजस्टमेंट से काम चलाना पड़ेगा।

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