होलीदड़ा स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर से गाजे-बाजे और ढोल-ढमाकों के साथ मेला शुरू हुआ। लाल वस्त्र पहने लाल्या और काले वस्त्र पहने काळ्या ने भक्तों पर जमकर सोटे बरसाए। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ‘नकटी’ का रूप धारण कर साथ चली। लोगों ने नकटी को चिढ़ाया तो वो उनके पीछे दौड़ती रही। मेले में लाल्या और काळ्या को लोगों ने चिढ़ाया तो वे सोटे लेकर उनके पीछे भागे। कड़क्का चौक, नया बाजार, आगार गेट तक लाल्या और काळ्या ने जमकर सोटे बरसाए। नौजवानों ने दोनों को मुश्किल से काबू किया। मेला देखने के लिए बाजारों, घरों की छतों और बाजार में महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों, युवाओं की भीड़ रही।
खम्भ फाडक़र प्रगटे नृसिंह भगवान
मेले में भगवान नृसिंह दहाड़ते हुए खम्भ फाडक़र प्रगट हुए। लोगों ने भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार के दर्शन किए। नृसिंह भगवान के भक्त प्रहलाद की रक्षा, हिरण्यकश्यप का वध और भक्ति की जीत पर लोगों ने जयकारे लगाए। मेले में श्रद्धालुओं को ठंडाई, लड्डू, पेड़े, मावे का प्रसाद वितरित किया गया। होलीदड़ा स्थित नृसिंह मंदिर में नृसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद की कथा का वाचन हुआ। मोगरे, गैंदे के फूल, इत्र और अन्य सामग्री से भगवान नृसिंह का विशेष, श्रंगार किया गया।
मेले में भगवान नृसिंह दहाड़ते हुए खम्भ फाडक़र प्रगट हुए। लोगों ने भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार के दर्शन किए। नृसिंह भगवान के भक्त प्रहलाद की रक्षा, हिरण्यकश्यप का वध और भक्ति की जीत पर लोगों ने जयकारे लगाए। मेले में श्रद्धालुओं को ठंडाई, लड्डू, पेड़े, मावे का प्रसाद वितरित किया गया। होलीदड़ा स्थित नृसिंह मंदिर में नृसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद की कथा का वाचन हुआ। मोगरे, गैंदे के फूल, इत्र और अन्य सामग्री से भगवान नृसिंह का विशेष, श्रंगार किया गया।