वर्ष 2005-06 में अजमेर में राजकीय लॉ कॉलेज की स्थापना हुई। कॉलेज बार कौंसिल ऑफ इंडिया की स्थाई मान्यता के बगैर संचालित है। इसको प्रतिवर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की सम्बद्धता लेनी पड़ती है। इसके लिए विश्वविद्यालय टीम से निरीक्षण कराती है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज को सम्बद्धता पत्र जारी किया जाता है। सत्र 2019-20 में कॉलेज के निरीक्षण और सम्बद्धता पत्र का अता-पता नहीं है।
बार कौंसिल को पत्र भेजने में देरी.. नियमानुसार विश्वविद्यालय का सम्बद्धता पत्र मिलने के बाद लॉ कॉलेज बार कौंसिल ऑफ इंडिया को प्रवेश प्रक्रिया के लिए पत्र भेजता है। यह पत्र 30 जून से पहले भेजना जरूरी होता है। बार कौंसिल की लीगल एज्यूकेशन कमेटी देशभर के सभी कॉलेज के पत्रों का अध्ययन करती है। इसके आधार पर उन्हें दाखिलों की अनुमति मिलती है। सत्र 2019-20 शुरू होने में महज 39 दिन बचे हैं। इस दौरान विश्वविद्यालय टीम को कॉलेज का निरीक्षण और सम्बद्धता पत्र जारी करना। इसके बाद कॉलेज को बीसीआई को यह पत्र भेजना है। दोनों प्रक्रिया में विलंब हुआ तो प्रवेश पर इसका असर पड़ सकता है।
यूजीसी में पंजीकृत नहीं कॉलेज
यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ के तहत सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पंजीकृत किया जाता है। पंजीकृत कॉलेज-विश्वविद्यालयों को विकास कार्यों, शैक्षिक कॉन्फे्रंस, कार्यशाला, भवन निर्माण के लिए बजट मिलता है। प्रदेश में अजमेर सहित कोई लॉ कॉलेज के यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत नहीं है।
यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ के तहत सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पंजीकृत किया जाता है। पंजीकृत कॉलेज-विश्वविद्यालयों को विकास कार्यों, शैक्षिक कॉन्फे्रंस, कार्यशाला, भवन निर्माण के लिए बजट मिलता है। प्रदेश में अजमेर सहित कोई लॉ कॉलेज के यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत नहीं है।
फिर आए उसी स्थिति में प्रथम वर्ष के दाखिले के मामले में कॉलेज और सरकार फिर पिछले वर्षों की स्थिति बन गई है। सरकार को सभी कॉलेज में स्थाई प्राचार्य, पर्याप्त व्याख्याता, स्टाफ की नियुक्ति और संसाधनों की कमी दूर करनी है। बीसीआई लगातार इसी शर्त पर कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति दे रहा है।