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वेंटीलेटर पर हैं राजस्थान के लॉ कॉलेज, नहीं चलेगा ऑक्सीजन के बिना काम

locationअजमेरPublished: Jan 06, 2019 06:25:59 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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law colleges problem

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

देश की शीर्ष अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश के हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों की अक्सर चर्चा होती है। न्याय मिलने में देरी के किस्से भी सुनने को मिलते हैं। लेकिन देश-प्रदेश को वकील देने वाली विधि शिक्षा पर सरकार का ज्यादा ध्यान नहीं है। प्रदेश में तेरह साल पहले अजमेर, नागौर, बूंदी, कोटा, भीलवाड़ा और अन्य जगह लॉ कॉलेज खोले गए। मकसद तो विधि शिक्षा को बेहतर बनाने का था। दुर्भाग्य से कॉलेज और विधि शिक्षा के हालात सुधर ही नहीं पाए हैं। ऐसा कोई साल नहीं है जबकि इन कॉलेज में प्रथम वर्ष के प्रवेश आसानी से हो रहे हों।
नहीं निकलता कोई नतीजा
सरकार और बार कौंसिल ऑफ इंडिया के बीच हर साल पत्राचार होता है। सुविधाएं और संसाधन बढ़ाने के दावे किए जाते हैं, पर ठोस नतीजा नहीं निकलता।मौजूदा सत्र में कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने हमेशा की तरह बार कौंसिल ऑफ इंडिया की मंजूरी के बगैर दाखिले नहीं करने की शर्त लगाई है। इससे सभी लॉ कॉलेज हैरान-परेशान हैं। कौंसिल हर साल सीमित संसाधन और शिक्षकों को कमी को पूरा करने के लिए सरकार से स्वघोषणा पत्र मांगती है। सरकार कमियां पूरी करने के बजाय मामले को उन्हें बनाए रखने में विश्वास करती है।
पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी
चार साल पहले विधि कॉलेज के लिए 88 शिक्षकों का भर्ती विज्ञापन निकला। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने कभी परीक्षा तो कभी साक्षात्कार-परिणाम निकालने में विलम्ब किया। दबाव बढ़ा तो पिछले दिनों भर्ती प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाया गया। फिर भी विधि कॉलेज में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। विधि कॉलेज की समस्याएं बढ़ाने में राज्य के विश्वविद्यालय भी पीछे नहीं हैं।बार कौंसिल ने सभी कॉलेज को तीन साल की एकमुश्त सम्बद्धता देने को कहा तो विश्वविद्यालय अड़ गए। दरअसल वे अपनी स्वायतत्ता छोडऩा नहीं चाहते हैं। हर साल मिलने वाली सम्बद्धता राशि को भला कौन छोडऩा चाहेगा।
सरकार के आंख, नाक, कान बंद…
सरकार तो मानो आंख, नाक, कान बंद किए बैठी है। चाहे नौजवान दाखिले से वंचित रहें या कॉलेज परेशानी भुगतें इससे किसी को मतलब नहीं है।विधि कॉलेज के कुछ शिक्षक तो मनमर्जी की नौकरी कर रहे हैं। खास रिश्तों की बदौलत उन्होंने खुद का पदस्थापन कहीं और करा रखा है। सात साल पहले सरकार ने कॉलेज के भवन तो बना दिए। यहां शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार, जैसी सुविधाएं नहीं जुटाई। ऐसी परेशानियों के बीच कॉलेज से तेज तर्रार वकील कैसे निकलेंगे यह समझ से परे है। समय रहते हालात नहीं सुधरे तो इन कॉलेज पर ताला लग सकता है।
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