मौजूदा वक्त ज्यादातर विद्यार्थी तीन या पांच वर्षीय एलएलबी को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। एलएलबी करने के साथ वह अदालतों में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ प्रेक्टिस शुरू कर देते हैं। कई राजस्थान सहित अन्य प्रांतों में न्यायिक सेवाओं में चले जाते हैं। इसके अलावा स्वतंत्र प्रेक्टिस करते हैं। इसी तरह शैक्षिक क्षेत्र में कॅरियर बनाने वाले विद्यार्थी एलएलएम कोर्स करते हैं। डीसीएल और डीएलएल कोर्स का युवाओं को कॅरियर में अधिक फायदा नहीं मिल रहा है।
डीसीएल और डीएलएल में ऐसे विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जो किसी व्यवसाय, सरकारी अथवा निजी नौकरियों में कार्यरत हैं। अधिकांश विद्यार्थी व्यस्तता के चलते कॉलेज नियमित नहीं आ पाते। लिहाजा कॉलेज में यह कोर्स फायदेमंद साबित नहीं हो रहे। लॉ कॉलेज में भी सीमित स्टाफ के चलते वर्कलोड बढ़ा हुआ है।
राज्य में अजमेर सहित अन्य लॉ कॉलेज डिप्लोमा इन लेबर लॉ और डिप्लोमा इन क्रिमनोलॉजी को चलाने का ज्यादा इच्छुक नहीं है। वे डिप्लोमा इन साइबर लॉ, फोरेंसिक लॉ, सर्टिफिकेट कोर्स इन एन्वायरमेंट लॉ, एक वर्षीय एलएलएम जैसे कई नए कोर्स चलाना चाहते है। ताकि युवाओं को रोजगार त्वरित मिले। साथ ही देश-विदेश में संस्थाओं की पहचान बनें। दुर्भाग्य से सरकार और विश्वविद्यालयों से कोर्स चलाने की मंजूरी नहीं मिल रही।
राज्य में लॉ कॉलेज-15
अध्ययनरत विद्यार्थी-5 से 8 हजार
प्रथम वर्ष की सम्बद्धता-अम्बेडकर लॉ यूनिवर्सिटी
द्वितीय-तृतीय वर्ष सम्बद्धता-अन्य विवि स
ेसंचालित कोर्स-एलएलबी, एलएलएम, डिप्लोमा कोर्स