गुरू तेग बहादुर सत्संग सभा के तत्वावधान में रात्रि 9 बजे गुरुद्वारा में लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा। सह सचिव त्रिलोचन सिंह छाबड़ा ने बताया कि शाम 7.30 बजे कीर्तन दरबार होगा। इसमें भाई तरनजीत सिंह गुरुवाणी सुनाकर संगत को निहाल करेंगे। इसके बाद लोहड़ी जलाकर पर्व मनाया जाएगा। लोगों को रेवड़ी, गजक, मंूगफली का प्रसाद वितरण होगा। इसी तरह पंजाबी समुदाय भी धूमधाम से लोहड़ी पर्व मनाएगा।
नई फसल और मौसम बदलने का प्रतीक लोहड़ी और मकर संक्रांति आमतौर पर नई फसल और मौसम बदलने का प्रतीक हैं। इसी खुशी में समूचे भारत में यह पर्व मनाए जाते हैं। देश के गांवों में तो लोहड़ी मनाने का अंदाज ही अलग रहा है। पूरे गांव के लोग सामूहिक रूप से लोहड़ी पर्व मनाते हैं। सभी घरों से मक्का, मूंगफली, गजक और अन्य प्रसाद लाकर, पूजा के बाद बांटा जाता है। आधुनिक दौर में भी पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रांतों के गांवों में परम्पराएं निभाई जा रही हैं। हालांकि बदलते दौर में लोहड़ी भी हाइटेक हो गई है।
डीजे-म्यूजिक पर नृत्य बदलते जमाने के साथ लोहड़ी मनाने का अंदाज भी बदला है। अब लोग डीजे पर नाचते-गाते लोहड़ी मनाते हैं। पारम्परिक ढोल-बाजे भी दिखते हैं, पर इनका चलन धीरे-धीरे तेज म्यूजिक और डीजे फ्लोर लेते जा रहे हैं। अजमेर में भी धौलाभाटा, रानाडे मार्ग, वैशाली नगर, शास्त्री नगर, गंज और अन्य क्षेत्रों में लोहड़ी के लिए विशेष तैयारी की गई हैं। शाम ढलते ही लोग पर्व मनाने के लिए जुट जाएंगे।
पारम्परिक गीत और नृत्य सिख और पंजाबी समुदाय लोहड़ी को धूमधाम से मनाते हैं। इस अवसर पर लोहड़ी जलाकर उसके चारों ओर महिलाएं, युवा, बच्चे नृत्य करते हैं। पारम्परिक गीत गाए जाते हैं। नव विवाहित जोड़ों और नवजात बच्चों की पहली लोहड़ी भी मनाई जाती है।