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पहले तो हुई कम बरसात अब सता रही तेज धूप, आखिर कैसे बचेगी हरियाली

locationअजमेरPublished: Oct 21, 2018 04:40:41 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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green plants in ajmer

green plants in ajmer

रक्तिम तिवारी/अजमेर.

मानसून के दौरान लगाए पौधों पर अब खतरा मंडरा रहा है। वन विभाग ने पौधे तो लगवा दिए लेकिन पर्याप्त बरसात नहीं होने पानी का संकट खड़ा हो गया है। नवम्बर के शुरुआत में भी गर्माहट बनी हुई है। ऐसे में पौधों को नुकसान पहुंच सकता है।
वन विभाग प्रतिवर्ष मानसून (जुलाई, अगस्त और सितम्बर) के दौरान अजमेर सहित किशनगढ़, ब्यावर, केकड़ी, पुष्कर, किशनगढ़ और अन्य वन क्षेत्रों में पौधरोपण कराता है। इनमें नीम, गुड़हल, बोगन वेलिया, अशोक, करंज और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। यह पौधे अजमेर, ब्यावर, खरवा, पुष्कर और अन्य नर्सरी में पौधे तैयार कराए जाते हैं। इसके बाद वन क्षेत्रों में इन्हें लगाया जाता है।
कम बरसात से संकट
इस बार भी विभाग ने मानसून के दौरान स्वयं सेवी संस्थाओं, स्कूल, कॉलेज, स्काउट-गाइड, राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों की सहायता से जिले में पौधरोपण कराया। बरसात होने तक पौधों को पानी मिल गया। लेकिन सितम्बर में ही मानसून ने सुस्ती ओढ़ ली। जिन पौधों ने जड़े नहीं पकड़ी उन पर संकट मंडरा चुका है। वन क्षेत्र में लगने से वहां तक पानी का इंतजाम करना चुनौती है।
नहीं चलते 50 प्रतिशत पौधे

पर्याप्त बरसात और तेज गर्मी से 40 से 50 प्रतिशत पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ देते हैं। इस बार पूरे सितम्बर और अब अक्टूबर में मई-जून सी गर्मी पड़ रही है। तापमान 36 से 39 डिग्री के बीच बना हुआ है। गर्मी में पौधों को बचाए रखना विभाग के लिए चुनौती है। मालूम हो कि वर्ष 2015 में तो विभाग को कम बरसात के चलते पौधरोपण रोकना पड़ा था।
वरना हरा-भरा होता अजमेर

वन विभाग और सरकार बीते 50 साल में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण करा रहा है। इनमें वानिकी परियोजना, नाबार्ड और अन्य योजनाएं शामिल हैं। इस दौरान करीब 30 से 40 लाख पौधे लगाए गए। पानी की कमी और सार-संभाल के अभाव में करीब 20 लाख पौधे तो सूखकर नष्ट हो गए। कई पौधे अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए।

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