केंद्रीय मानव संसाधन विकास, जल संसाधन और गंगा पुनुरुद्धार मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने साल 2017 में ऋषि मेले के दौरान वैदिक पार्क सहित महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर स्थापित करने की घोषणा की थी। विश्वविद्यालय में शिक्षकों कमी और अन्य कारणों से यूजीसी ने चेयर स्वीकृति नहीं की। विश्वविद्यालय सहित पत्रिका ने यूजीसी को मुद्दे को लगातार उठाया। अथक प्रयासों से पिछले साल 18 अक्टूबर को विश्वविद्यालय को ऋषि दयानंद चेयर स्वीकृत की गई।
छह महीने से कक्ष पर ताला
ऋषि दयानंद सरस्वती चेयर का कक्ष अस्थाई रूप से पर्यावरण विज्ञान भवन में बनाया गया है। छह महीने से इस कमरे पर ताला लगा हुआ है। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर बीते साल 11 अक्टूबर से हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी। यह अब तक जारी है। कुलपति की अनुपस्थिति में ऋषि दयानंद चेयर का विधिवत कामकाज शुरू नहीं हो रहा है। जबकि यूजीसी ने चेयर पांच साल के लिए दी है। विश्वविद्यालय को छह माह के भीतर चेयर के लिए प्रोफेसर की नियुक्ति करनी थी, पर ऐसा नहीं हो सका है।
ऋषि दयानंद सरस्वती चेयर का कक्ष अस्थाई रूप से पर्यावरण विज्ञान भवन में बनाया गया है। छह महीने से इस कमरे पर ताला लगा हुआ है। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के कामकाज पर बीते साल 11 अक्टूबर से हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी। यह अब तक जारी है। कुलपति की अनुपस्थिति में ऋषि दयानंद चेयर का विधिवत कामकाज शुरू नहीं हो रहा है। जबकि यूजीसी ने चेयर पांच साल के लिए दी है। विश्वविद्यालय को छह माह के भीतर चेयर के लिए प्रोफेसर की नियुक्ति करनी थी, पर ऐसा नहीं हो सका है।
यूजीसी यूं करेगा वित्तीय सहायता -किताबों-जर्नल्स के लिए 1.50 लाख रुपए (पांच साल के लिए) 30 हजार रुपए (अतिरिक्त दो वर्ष के लिए)
-यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष -सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम और अन्य कार्य
-यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष -सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष
-कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम और अन्य कार्य
-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष-फील्ड वर्क, डाटा संग्रहण और अन्य कार्य-1.20 लाख रुपए प्रतिवर्ष