एमडीएस यूनिवर्सिटी का मिशन एडमिशन जून में, इस बार दिखेगा ये खास बदलाव
सत्र 2018-19 के लिए जून में प्रवेश प्रारंभ होंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय ऑनलाइन फार्म भरवाएगा।

अजमेर
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों में दाखिले जून मेें प्रारंभ होंगे। कोर्स में दाखिलों की संख्या बढ़ाने को लेकर कुलपति का खास जोर है। इस बार शिक्षकों को प्रवेश संख्या बढ़ाने के लिए विशेष जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।
विश्वविद्यालय में इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, रिमोट सेंसिंग, पर्यावरण विज्ञान, कम्प्यूटर, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, कॉमर्स, पत्रकारिता एवं जनसंचार, पुस्तकालय विज्ञान, योग , खाद्य एवं पोषण, विधि, हिन्दी और अन्य कोर्स संचालित है। सत्र 2018-19 के लिए जून में प्रवेश प्रारंभ होंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय ऑनलाइन फार्म भरवाएगा।
बढ़ाने होंगे दाखिले
कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली का इस साल विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने पर खास जोर है। शिक्षकों को कोर्स में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के विशेष निर्देश दिए जाएंगे। इसके अलावा कुलपति विभागवार शिक्षकों की संख्या, गेस्ट फेकल्टी के बारे में भी जानकारी लेंगे।
एकीकृत प्रवेश में नहीं रुचि?
उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों को कॉलेज शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए भी आवेदन लेने की सिफारिश की है। प्रदेश के विश्वविद्यालय इसे स्वायतत्ता के खिलाफ मानते हुए एकराय नहीं हैं। मालूम हो कि मदस विश्वविद्यालय में पिछले 30 साल से विद्यार्थियों का ग्राफ 1100 से 1500 तक ही सिमटा रहा है।
प्रवेश कार्यक्रम की तैयारी
प्रो. अरविंद पारीक की अगुवाई वाली प्रवेश समिति प्रवेश कार्यक्रम तैयार करने में जुटी है। कुलपति की मंजूरी के बाद सूचना विश्वविद्यालय की वेबसाइट और अखबार में जारी होगी। इस बार प्रोस्पेक्टस की कुछ प्रतियां भी छपवाई जाएंगी। इन्हें विभागों में बांटने के अलावा शुल्क लेकर विद्यार्थियों को दिया जाएगा।
सबसे कम विद्यार्थी की यूनिवर्सिटी
एमडीएस यूनिवर्सिटी राज्य के पुरानी संस्थाओं में शामिल है। यह विद्यार्थियों के मामले में सबसे पिछड़ा हुआ है। राजस्थान यूनिवर्सिटी , जोधपुर के जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी, उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवर्सिटी में 5 से 10 हजार स्टूडेंट्स पढ़ते हैं।
इसके मुकाबले अजमेर का एमडीएस यूनिवर्सिटी कहीं नहीं ठहरता है। कम स्टूडेंट्स के कारण ही 31 साल में इसकी खास पहचान नहीं बन पाई है। इसके मुकाबले निजी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ज्यादा स्टूडेंट्स हैं।
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