1987 में स्थापित विश्वविद्यालय में कभी 35 से ज्यादा शिक्षक थे। लगातार सेवानिवृत्तियों के चलते अब यहां 17 शिक्षक बचे हैं। साल 2017 में जूलॉजी और बॉटनी विभाग में प्रोफेसर की भर्ती हुई। 20 शिक्षकों की भर्ती अटकी हुई है। मौजूदा वक्त इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग में स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, कम्प्यूटर विज्ञान में मात्र एक-एक शिक्षक हैं। जबकि पत्रकारिता, विधि, हिन्दी विभाग में तो शिक्षक भर्ती का मुर्हूत ही नहीं निकला है।
विश्वविद्यालय उत्कृष्ट शोध में भी पीछे हैं। यहां वैश्विक अथवा राष्ट्रीय स्तर के शोध नहीं हो रहे। शोध प्रवेश परीक्षा नियमित नहीं हो रही। शोधार्थियों को घिसे-पिटे टॉपिक आवंटित किए जाते हैं। इसके अलावा विज्ञान की प्रयोगशाला में उपकरणों की कमी है। विश्वविद्यालय में विदेशी विद्यार्थियों-शोधार्थियों की आवाजाही नहीं होती। देश के श्रेष्ठ संस्थानों (आईआईटी, आईआईएम)के शिक्षकों को बुलाकर लेक्चर नहीं कराए जाते हैं।
विद्यार्थियों की संख्या-900 से 1100 शैक्षिक विभाग-25
शिक्षकों की संख्या 18 यूजीसी से ग्रेड-बी डबल प्लस
सम्बद्ध कॉलेज-290 संघठक कॉलेज-कोई नहीं