लक्ष्मीनारायण बैरवा की जनहित याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग की खंडपीठ ने बीती 11 अक्टूबर को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह को नोटिस जारी कर 26 अक्टूबर तक कामकाज पर रोक लगाई थी। इसके बाद न्यायालय ने रोक 1,16, 28 नवंबर, 3 दिसंबर और 11 जनवरी तक बढ़ा दी थी।
हाल में हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद कुलपति के कामकाज पर रोक जारी रखने के आदेश दिए। विश्वविद्यालय की कुलसचिव अनिता चौधरी अदालत में मौजूद रही। मालूम हो कि पिछली सुनवाई में विश्वविद्यालय की तरफ से उच्च न्यायालय में कुलपति की गैर मौजूदगी में कामकाज प्रभावित होने का प्रार्थना पत्र दिया गया था। इस पर याचिकाकर्ता बैरवा के वकील ने राजभवन और सरकार को सक्षम बताते हुए ऐतराज जताया था।
तीन महीने में बिगड़ा कामकाज
विश्वविद्यालय में तीन महीने से कुलपति के कामकाज पर रोक कायम है। कुलपति कीअनुपस्थिति से कामकाज चरमरा गया है। अहम वित्तीय और प्रशासनिक मामलों की पत्रावलियां अटक गई हैं। सालाना परीक्षाएं पर भी संकट मंडरा रहा है। यहां कई अहम फैसले कुलपति के बिना नहीं हो सकते हैं। स
विश्वविद्यालय में तीन महीने से कुलपति के कामकाज पर रोक कायम है। कुलपति कीअनुपस्थिति से कामकाज चरमरा गया है। अहम वित्तीय और प्रशासनिक मामलों की पत्रावलियां अटक गई हैं। सालाना परीक्षाएं पर भी संकट मंडरा रहा है। यहां कई अहम फैसले कुलपति के बिना नहीं हो सकते हैं। स
नहीं कर रहे कोई फैसला
विधानसभा में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2017 पारित हो चुका है। अधिनियम की धारा 9 (10) के तहत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कोई स्थाई रिक्ति, मृत्यु, त्यागपत्र, हटाए जाने, निबंलन के कारण या अन्यथा हो जाए तो उप धारा 9 के तहत कुलाधिपति सरकार से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति को अतिरिक्त दायित्व सौंपेंगे। इस एक्ट के बावजूद सरकार और राजभवन तमाशा देखने में व्यस्त हैं।
विधानसभा में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2017 पारित हो चुका है। अधिनियम की धारा 9 (10) के तहत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कोई स्थाई रिक्ति, मृत्यु, त्यागपत्र, हटाए जाने, निबंलन के कारण या अन्यथा हो जाए तो उप धारा 9 के तहत कुलाधिपति सरकार से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति को अतिरिक्त दायित्व सौंपेंगे। इस एक्ट के बावजूद सरकार और राजभवन तमाशा देखने में व्यस्त हैं।