read more: Rain record : सिर्फ 39 दिन में हो गई 601 मिलीमीटर बरसात 1987 में स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) को नैक से बी डबल प्लस ग्रेड हासिल है। यह ग्रेड साल 2017 में प्रदान की गई। संयोग से यही ग्रेड वर्ष 2004 में भी मिली थी। इससे साफ जाहिर है कि विश्वविद्यालय ने ग्रेडिंग (NAAC) सुधार के लिए प्रयास करना उचित नहीं समझा। इसके विपरीत विश्वविद्यालय के अधीनस्थ और सम्बद्ध कॉलेज का प्रदर्शन लगातार निखर रहा है।
read more: Big Qusestion: 24 साल से भर्ती नहीं, सिर्फ दो कॉलेज में राजस्थानी भाषा क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान-जीसीए ज्यादा बेहतर यूजीसी (UGC) ने सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेज को नैक की ग्रेडिंग लेना अनिवार्य किया है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (SPC GCA) में साल 2016 नैक टीम का दौरा किया था। टीम ने कॉलेज के भवन (building), लाइब्रेरी (library), स्टाफ, शैक्षिक-सह शैक्षिक गतिविधियों का अवलोकन किया। यूजीसी ने इसे ए ग्रेड (A Grade) प्रदान की। इसी तरह 2017 में नैक टीम ने एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान (RIE Ajmer) का दौरा किया। यहां संचालित चार वर्षीय बीएससी बीएड, बीए-बीएड और अन्य कोर्स, शैक्षिक कार्यक्रमों के आधार पर इसे ए प्लस ग्रेड दी गई। सोफिया कॉलेज (sofia college) भी ए ग्रेड धारी है।
read more: Innovation: आपके पास हैं किताबें तो डोनेट करें कॉलेज को इन मामलों में विश्वविद्यालय पीछे -विश्वविद्यालय में मात्र 18 शिक्षक कार्यरत-राजनीति विज्ञान, हिंदी, इतिहास और अन्य विभागों में नहीं शिक्षक
-राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षिक गतिविधियां सीमित -प्रवेश के लिए विद्यार्थियों में अखिल भारत स्तर पर नहीं होती प्रतिस्पर्धा -एनसीसी और अन्य गतिविधियों की कमी -गुणवत्तापरक शोध की कमी, शोध के नहीं होते पेटेन्ट
-कैंपस प्लेसमेंट और कॅरियर काउंसलिंग का अभाव -परिसर में शोधार्थियों के लिए हाइटेक रिसर्च लेब की कमी -जॉब ओरिएन्टेड और कौशल विकास पाठ्यक्रमों का अभाव मिलनी चाहिए ए ग्रेड… भवनों, हाइटेक लाइब्रेरी, छात्रावास और अन्य संसाधनों के मामले में विश्वविद्यालय अपने सम्बद्ध कॉलेज (affilliated college) से आगे है। लेकिन यहां शिक्षकों की भर्ती (teachers recruitment) , विद्यार्थियों के सीमित प्रवेश और सीमित शैक्षिक-सह शैक्षिक गतिविधियां होती है। इनके चलते नैक की ए ग्रेड अब तक दूर की कौड़ी है। जबकि ग्रेडिंग (grading) से ही किसी संस्थान (institution) को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है।