लोकसभा चुनाव और कुलपति के कामकाज पर लगी रोक के चलते विश्वविद्यालय की सालाना परीक्षाएं इस पर प्रभावित हुई हैं। अव्वल तो विश्वविद्यालय परिस्थितियों से वकिफ होने के बावजूद फरवरी के अंत में परीक्षाएं शुरू करा पाया। तिस पर लोकसभा चुनाव के दौरान एक माह तक वार्षिक परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। परीक्षाएं 25 मई से दोबारा शुरू की गई, जो अब तक चल रही हैं।
विद्यार्थी हो रहे परेशान
परीक्षाएं विलंब से कराने का असर परिणाम पर पड़ा है। तृतीय वर्ष बीएससी, बी.कॉम और बी.ए के नतीजे अब तक जारी नहीं हो पाए हैं। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। हजारों विद्यार्थियों ने देश के विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर, विधि, प्रबंधन और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन किया है। वे संबंधित संस्थानों में तृतीय वर्ष की मार्कशीट, सर्टिफिकेट नहीं लगा पा रहे हैं।
परीक्षाएं विलंब से कराने का असर परिणाम पर पड़ा है। तृतीय वर्ष बीएससी, बी.कॉम और बी.ए के नतीजे अब तक जारी नहीं हो पाए हैं। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। हजारों विद्यार्थियों ने देश के विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर, विधि, प्रबंधन और अन्य पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन किया है। वे संबंधित संस्थानों में तृतीय वर्ष की मार्कशीट, सर्टिफिकेट नहीं लगा पा रहे हैं।
read more: rpsc: इंटरव्यू में मिलेंगी सुविधाएं, अभ्यर्थी भी रह जाएंगे हैरान सो रहे सरकार और राजभवन सरकार और राजभवन ने विश्वविद्यालय की भुला दिया है। कुलपति की गैर मौजूदगी में डीन कमेटी कार्यरत है, लेकिन इसे बड़े फैसले लेने का अधिकार नहीं है। जुलाई अंत में प्रो. प्रवीण माथुर का डीन का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में कमेटी में एकमात्र डीन प्रो. शिवदयाल सिंह रहेंगे। हाईकोर्ट में कुलपति मामले की सुनवाई 12 जुलाई को होनी है। पिछले नौ महीने के तरह इस बार भी कोर्ट ने तिथि बढ़ाई तो विश्वविद्यालय का संकट और बढ़ जाएगा।