कमेटी ने माना कि यूजीसी के नियमों को यथावत रखा जाना चाहिए। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में निकाले गए विज्ञापन, सरकार और राजभवन के आदेशों पर चर्चा होनी चाहिए। मालूम हो कि बीकानेर और उदयपुर के कुलपतियों के आवेदन परफॉर्मा में यूजीसी के नियमों को लेकर तकनीकी दिक्कतें आई थीं।
रामपाल के लिए बदले थे नियम…
रामपाल को कुलपति बनाने के लिए यूजीसी के नियमों में तब्दीली की गई थी। कुलपति पद के विज्ञापन में विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में बतौर प्रोफेसर 10 साल का का अध्यापन और शोध अनुभव रखने वाले शिक्षाविदों, अथवा शैक्षिक प्रशासनिक संस्थान में कामकाज का अनुभव रखने वालों से आवेदन मांगे गए थे। इसमें कहा गया कि शिक्षाविद (अभ्यर्थी) आवेदन की अंतिम तिथि तक 67 साल से कम उम्र के होने चाहिए। इन्हें तीन साल अथवा 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो उसके तहत नियुक्त किया जाएगा। यानि साफ तौर पर विश्वविद्यालय ने अधिकतम आयु 70 से घटाकर 67 कर दी थी। इसके खिलाफ यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।
घूसकांड में लिप्त कर्मचारी गिफ्तार, कोर्ट ने भेजा जेल अजमेर. महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में हुई एसीबी ट्रेप कार्रवाई की लपटें निचले स्तर तक पहुंच गई है। इनमें खासतौर पर कॉलेजों की सम्बद्धता, परीक्षा केंद्र गठन और सीट बढ़ोतरी के मामले शामिल हैं। एसीबी टीम ने चार महीने बाद विवि के कर्मचारी रवि जोशी को गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने उसे जेल भेजने के आदेश दिए हैं। अभी एसीबी की राडार पर 30 से ज्यादा लोग हैं।
बीते साल 7 सितंबर को एसीबी ने रामपाल सिंह (बर्खास्त कुलपति), दलाल रणजीत सिंह और निजी कॉलेज प्रतिनिधि महिपाल को 2.20 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार किया था। एसीबी को विश्वविद्यालय में कॉलेज की सम्बद्धता, सीट बढ़ोतरी और परीक्षा केंद्र गठन में लेन-देन के इनपुट मिल रहे थे। इंटेलीजेंस टीम बेहद गोपनीय ढंग से पड़ताल में जुटी थी। एफआईआर में विश्वविद्यालय के कर्मचारी रवि जोशी का नाम भी शामिल था। एसीबी के पास मौजूद मोबाइल रिकॉर्डिंग में इसके प्रमाण भी हैं।