कुलपति पद से निलंबित रामपाल सिंह साल 2018 और 2019 की डिग्रियां बनवाना चाहता था। इसमें सुरक्षा फीचर्स पहले की तरह रखे गए। वह टेंडर पसंदीदा फर्म को देने का इच्छुक था। फर्मों से जुलाई में टेंडर मांगे थे। यह टेंडर सितंबर में खुलने वाले थे। उससे पहले ही सिंह और उसका दलाल रणजीत 7 सितंबर को एसीबी के हत्थे चढ़ गए।
यह बनाए थे शर्तें
-नियम-फर्म को खरीदना था 243 जीएसएम का खास सिलिका-पोल्योफिन पेपर
-फर्म को बनाना था डिग्री का फॉर्मेट
-प्रिटिंग से पहले फर्म भेजती यूनिवर्सिटी को दो चेक लिस्ट
-जांच और त्रुटियां सुधार के बाद फर्म प्रिंट करती डिग्री
-नियम-फर्म को खरीदना था 243 जीएसएम का खास सिलिका-पोल्योफिन पेपर
-फर्म को बनाना था डिग्री का फॉर्मेट
-प्रिटिंग से पहले फर्म भेजती यूनिवर्सिटी को दो चेक लिस्ट
-जांच और त्रुटियां सुधार के बाद फर्म प्रिंट करती डिग्री
तीन साल का एकमुश्त वर्क ऑर्डर
योजना के मुताबिक टेंडर से फर्म को तीन साल का एकमुश्त वर्क ऑर्डर देना प्रस्तावित था। यह करीब 65 लाख रुपए का था। नए टेंडर के बाद तैयार होने वाली डिग्री की कीमत 28 से 32 रुपए तक पड़ती। जबकि पूर्व में डिग्री 22 से 24 रुपए में प्रिंट हो रही थी। कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी तक मामला पहुंचा तो उन्होंनेपत्रावली मंगवाई। उन्होंने आगामी कार्रवाई तक टेंडर प्रक्रिया रोकने को कहा है।
योजना के मुताबिक टेंडर से फर्म को तीन साल का एकमुश्त वर्क ऑर्डर देना प्रस्तावित था। यह करीब 65 लाख रुपए का था। नए टेंडर के बाद तैयार होने वाली डिग्री की कीमत 28 से 32 रुपए तक पड़ती। जबकि पूर्व में डिग्री 22 से 24 रुपए में प्रिंट हो रही थी। कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी तक मामला पहुंचा तो उन्होंनेपत्रावली मंगवाई। उन्होंने आगामी कार्रवाई तक टेंडर प्रक्रिया रोकने को कहा है।
खतरे में पड़ सकती थी सुरक्षा!
स्नातक-स्नातकोत्तर परीक्षाओं में दोनों साल में 1.50 लाख विद्यार्थी शामिल हुए थे। नियमानुसार विवि के रिजल्ट टी.आर. में रहते हैं। डिग्री बनाने वाली फर्म को सारा कार्य सौंपने की तैयारी हो चुकी थी। टी.आर. की कॉपी बनाकर भेजने की भी तैयारी थी। जबकि टी.आर. किसी भी संस्था के गोपनीय दस्तावेज होते हैं।
स्नातक-स्नातकोत्तर परीक्षाओं में दोनों साल में 1.50 लाख विद्यार्थी शामिल हुए थे। नियमानुसार विवि के रिजल्ट टी.आर. में रहते हैं। डिग्री बनाने वाली फर्म को सारा कार्य सौंपने की तैयारी हो चुकी थी। टी.आर. की कॉपी बनाकर भेजने की भी तैयारी थी। जबकि टी.आर. किसी भी संस्था के गोपनीय दस्तावेज होते हैं।
अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों को मौका, तुरंत शामिल हों काउंसलिंग में अजमेर. राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्राध्यापक (स्कूल शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा-2018 की प्रथम चरण की काउंसलिंग में उपस्थित रहे अभ्यर्थियों को अंतिम मौका दिया है। ऐसे अभ्यर्थी 26 अक्टूबर तक आयोग में काउंसलिंग में भाग ले सकते हैं।
सचिव शुभम चौधरी के मुताबिक 31 अगस्त से 15 सितंबर तक प्राध्यापक (स्कूल शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा-2018 प्रथम चरण की काउसंलिंग हुई थी। इसमें कृषि, केमिस्ट्री, कॉमर्स, अंग्रेजी, हिंदी, इतिहास, गृह विज्ञान, गणित, फिजिक्स, पंजाबी, संस्कृत और समाजशास्त्र विषय के कई अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे थे।