आनासागर झील में करीब 50 से ज्यादा प्रजातियों के देशी-प्रवासी पक्षी विहार करते हैं। सागर विहार कॉलोनी-पाथ वे, वैशाली नगर, रीजनल कॉलेज, गौरव-पथ और पुरानी विश्राम स्थली के खंडहर इनके पसंदीदा ठिकाने हैं। झील में जलकुंभी, प्लास्टिक की थैलियों-बोतलों और कागज और अन्य सामग्री फेंके जाने का सिलसिला जारी है। इससे पक्षियों की जान खतरे में है।
मुश्किल से बची जान शुक्रवार को सागर विहार कॉलोनी-पाथ वे के निकट जलकुंभी और कचरे में भोजन तलाशने के दौरान एक पक्षी प्लास्टिक की थैली में फंस गया। उसने निकलने के जतन किए पर सफल नहीं हुआ। उसे तड़पता देख एक बालक ने पानी में उतर कर थैली हटाकर उसे आजाद किया।
झील में बढ़ रही गंदगी पाथ-वे बनने के बाद झील में सैर-सपाटा बढ़ गया है। यहां आने-जाने वाले लोग प्लास्टिक की थैलियां, बोतल, सिगरेट के पैकेट, कागज, पत्तल- दोने, पुराने टायर और अन्य सामग्री झील में फेंक रहे हैं। इसके अलावा आनासागर झील में आने वाले नालाें से भी कचरा झील में पहुंच रहा है। इससे पानी में प्रदूषण बढ़ गया है।
आनासागर में कचरा डालने की प्रवृत्ति तत्काल बंद करनी चाहिए। नगर निगम और प्रशासन को लोगों से भारी जुर्माना वसूलना चाहिए। झील शहर की शान और पक्षियों का आश्रय स्थल है। इन्हें बचाना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।प्राे. प्रवीण माथुर
पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष, मदस विवि