अजमेर

किरण माहेश्वरी करेंगी अजमेर में ये काम, रहेगा इस मुद्दे पर खास फोकस

www.patrika.com/rajasthan-news

अजमेरSep 01, 2018 / 05:32 am

raktim tiwari

minister kiran maheshwari

अजमेर.
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी 9 सितम्बर को अजमेर आएंगी। वे राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के तत्वावधान में होने वाली सेमिनार में भाग लेंगी। इस दौरान उच्च शिक्षा की दशा, दिशा और नवाचार पर चर्चा होगी।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में होने वाली सेमिनार में प्रदेश के राजस्थान विश्वविद्यालय, उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, जोधपुर के जयनाराण व्यास विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालयों के शिक्षक, रुक्टा राष्ट्रीय के पदाधिकारी शामिल होंगे।
सेमिनार का शुभारंभ उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी करेंगी। इस दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के कुलाधिपति डॉ. पी. एल. चतुर्वेदी, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी और अन्य भी मौजूद रहेंगे।
राजस्थान के शिक्षा मंत्री के लिए कह दिया कुछ ऐसा..

केवल सरकारों के बदलने मात्र से पाठ्यक्रमों में परिवर्तन की परम्परा सही नहीं है। देश की मांग, रोजगार की उपलब्धता और विद्यार्थियों-युवाओं की आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम बनने चाहिए। तभी इनसे फायदा मिल सकता है। यह बात राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के पूर्व निदेशक और यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधि प्रो. जे. एस. राजपूत ने पत्रिका से खास बातचीत में कही।
प्रो. राजपूत ने कहा कि किताबों और पाठ्यक्रम में बदलाव सतत प्रक्रिया है। घिसे-पिटे और निरर्थक पाठ्यक्रमों, बिन्दुओं को पढ़ाया जाना विद्यार्थियों के साथ खिलवाड़ है। लेकिन सरकारों के बदलने मात्र से पाठ्य पुस्तकों-पाठ्यक्रमों को एकाएक बदलना गलत है। कोई विशेष विचारधारा को विद्यार्थियों पर नहीं थोपा जाना चाहिए। वास्तव में पाठ्यक्रम निर्माण देश की आवश्यकता, औद्योगिक मांग से जुड़े होने चाहिए। भारत में तो पांच-सात साल में पाठ्यक्रम बदलते हैं। जबकि दुनिया के विकसित देशों दो-तीन साल बाद ही पुराने के बजाय नए पाठ्यक्रम लागू होते रहते हैं।
स्कूलों का एकीकरण गलत

राजस्थान में स्कूलों के एकीकरण को राजपूत ने गलत बताते हुए कहा कि सरकार को इसके बजाय दूसरे विकल्प ढूंढने चाहिए। इसके बजाय तीसरी-पांचवीं तक के स्कूल को ग्राम पंचायत या जिला परिषद के सहारे चलाया जा सकता है। एकीकरण किसी व्यवस्था में एकाएक एवं त्वरित सुधार का माध्यम नहीं है।
 

क्यों पढ़ाए जाएं निरर्थक कोर्स

कॉलेज और विश्वविद्यालयों में निरर्थक कोर्स और विषय पढ़ाए जाने के सवाल पर प्रो. राजपूत ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों की विद्या परिषद-प्रबंध मंडल-सीनेट को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। घिसे-पिटे पाठ्यक्रमों के कारण ही देश में बेरोजगारी, युवाओं में हताशा बढ़ रही है। तकनीकी और कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को बढ़ावा दिए बगैर बेरोजगारी को खत्म करना मुश्किल है। उच्च शिक्षण संस्थानों को औपचारिक रवैये के बजाय बाजार की मांग, आर्थिक विकास से जुड़े पाठ्यक्रम बनाने पड़ेंगे।
 

Home / Ajmer / किरण माहेश्वरी करेंगी अजमेर में ये काम, रहेगा इस मुद्दे पर खास फोकस

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.