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Mother’s Day 2021: कचरे में तलाशे हीरे, शिक्षा से बदल रहीं तकदीर…

locationअजमेरPublished: May 09, 2021 08:03:59 am

Submitted by:

raktim tiwari

वे पिछले आठ साल से निर्धन और अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा से जोडऩे की मुहिम चला रही हैं। उनका हौसले और जज्बे में कई युवा और सामाजिक संगठन भी मददगार बने हैं।

mothers day

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

कभी कचरा बीनने और घरों में पशुधन की देखभाल करने वाले बच्चे अब विभिन्न सरकारी स्कूल में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इन्हें विद्यालयों की दहलीज तक पहुंचाने तक काम किया है, अलखनंदा कॉलोनी निवासी अलका गोधा ने। वे पिछले आठ साल से निर्धन और अभावग्रस्त बच्चों को शिक्षा से जोडऩे की मुहिम चला रही हैं। उनका हौसले और जज्बे में कई युवा और सामाजिक संगठन भी मददगार बने हैं।
अलखनंदा कॉलोनी से सटे रातीडांग और आसपास के इलाकों में कई निर्धन लोग रहते हैं। इनके बच्चे शिक्षा-दीक्षा से दूर रहते थे। कभी घर में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने वाली अलका गोधा को साल 2013 में कुछ निर्धन बच्चे कचरा बीनते मिले। उन्होंने जिज्ञासावश बच्चों से पढ़ाई और स्कूल जाने के बारे में पूछा। बच्चों ने स्कूल की दहलीज भी नहीं देखने की जानकारी दी।
और बदल गया मकसद..
निर्धन बच्चों को बिना शिक्षा और इधर-उधर भटकते देखकर अलका को जबरदस्त पीड़ा हुई। उन्होंने तत्काल बड़ा फैसला लिया। उन्होंने निर्धन परिवार के बच्चों को घर में बुलाकर नि:शुल्क पढ़ाना शुरू किया। शुरुआत में बच्चों को पढ़ाई के लिए किताबों-कॉपियों का बंदोबस्त और नियमित कक्षा तक लाना भी चुनौती था। उन्होंने खुद इसका बीड़ा उठाया। इसमें उनका परिवार भी मददगार बना।
बनाए अलग-अलग सेंटर
बच्चों में पढ़ाई की जिज्ञासा बढ़ते देख अलका ने रातीडांग सहित अलग-अलग क्षेत्रों में सेंटर बनाए। उनकी इस मुहिम में कुछ सामाजिक संगठन और कॉलेज-विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी जुट गए। उन्होंने न:शुल्क पढ़ाने के अलावा आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई। पिछले आठ साल में अलका और उनकी टीम करीब 500 से ज्यादा बच्चों को ब्रिज कोर्स कराकर सरकारी स्कूल में दाखिले करा चुकी है।
लगाते हैं प्रतिवर्ष समर कैंप
अलका ने अभियान का नाम ‘शिक्षा की पहल रखा है। उन्होंने बताया कि निर्धन बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए वे प्रतिवर्ष समर कैंप भी लगाती हैं। इसमें बच्चों को नृत्य, पेंटिंग, गायन और अन्य विधाएं सिखाई जाती हैं। पूर्व कलक्टर आरती डोगरा भी उनकी मुहिम से बहुत प्रभावित हुई थीं। कोरोना संक्रमण के कारण वे पिछली साल कैंप नहीं लगा पाई थीं। इस बार भी हालात सामान्य नहीं हैं।

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