फिलहाल मूंदड़ा पुलिस गिरफ्त से दूर है। उधर, शेख साजिद भी काफी शातिर निकला। मूंदड़ा ने साजिद के नाम पर ही वेलकम फार्मा का रजिस्टेशन करा रखा है। इस फर्म के नाम से ही नशीली दवा के पार्सल आते-जाते थे। मूंदड़ा ने इसकी जिम्मेदारी भी साजिद को सौंप रखी थी, ताकि वह काले कारोबार में पर्दे के पीछे रहकर करोड़ों कमा सके।
पुलिस ने खंगाली कुंडली करोड़ों रुपए की नशीली दवा की तस्करी मामले में फरार मेडिकल स्टोर संचालक मूंदड़ा पर अब बुरी तरह फंस चुका है,क्योंकि अनुसंधान में जुटी पुलिस ने उसकी नशे के काले कारनामों की कुण्डली खंगाल ली है। पुलिस पड़ताल में सामने आया कि मूंदड़ा ने अपने खास गुर्गे शेख साजिद को अपने कारोबार का मोहरा बना रखा था। उसने ना केवल ट्रांसपोर्ट के पार्सल लाने-ले जाने की जिम्मेदारी सौंप रखी थी बल्कि उसके नाम से वेलकम फार्मा के नाम से रजिस्ट्रेशन भी कवा रखा था। नशे का काला कारोबार वेलकम फार्मा के नाम से ही संचालित हो रहा था।
छह माह पहले ऑफिस बंद पुलिस पड़ताल में सामने आया कि मूंदड़ा ने शेख साजिद के नाम से वेलकम फार्मा का रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद अपने घर के पास ही प्रगति नगर कोटड़ा में किराए के मकान में ऑफिस भी खोला। ऑफिस खोलना का उद्देश्य वेलकम फार्मा के ऑफिस का पते का इस्तेमाल करना था। दिसम्बर २०२० में ऑफिस बंद कर दिया गया। हालांकि पुलिस ने यहां दबिश दी लेकिन मकान मालिक ने मकान खाली करने की जानकारी दी।
बी.के. कॉल नगर में गोदाम! पड़ताल में सामने आया कि मूंदड़ा ने ना केवल विमला मार्केट में ही दवाइयां रखने के लिए गोदाम बना रखा था बल्कि बी.के. कॉलनगर स्थित अपने मकान के भूतल को भी गोदाम में इस्तेमाल कर रहा था जबकि पहली मंजिल पर किरायदार रहते हैं। आसपास के लोगों से पूछताछ में आया कि नशीली दवाइयों का मामला उजागर होने के दो-तीन दिन तक सुबह लॉडिंग टेम्पों में माल लदान किया गया। उसी दरम्यिान मूंदड़ा को यहां देखा भी गया लेकिन उसके बाद मूंदड़ा नजर नहीं आया। गोदाम पर अब ताला लटका है।
पुलिस ने दी दबिश प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी मुकेश कुमार सोनी समेत रामगंज थानाप्रभारी सतेन्द्रसिंह नेगी, क्लॉक टावर थानाप्रभारी दिनेश कुमावत, अलवर गेट थानाप्रभारी सुनिता गुर्जर ने श्याम सुन्दर मूंदड़ा की तलाश में कई जगह दबिश दी। पुलिस लगातार मूंदड़ा की गिरफ्तारी का दबाव बनाए हुए है।