जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव राकेश गोरा ने बताया कि जिला व सैशन न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी के निर्देशों पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जिले स्तर पर किया गया है। खास बात यह है कि लोक अदालत केवल आंकड़ों का खेल नहीं है। वरन इसके लिए पिछले दो माह से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
पेरालीगल वॉलिएंटियर के जरिए लोक अदालत का महत्व, राजीनामा योग्य पक्षकारों को सूचना देकर उन्हें बातचीत के लिए बुलाकर तैयार करने का कार्य महत्वपूर्ण होता है। कई प्रकरणों में ऐसा देखा गया है कि पक्षकारों के बीच मामूली विवाद होता था लेकिन संवाद के अभाव में प्रकरण लंबित चलता रहता है। राजीनामे के उद्देश्य से पक्षकारों में बातचीत कर प्रकरण का निस्तारण करने का प्रयास किया जाता है। लोक अदालत में मुकदमा दर्ज होने से पहले के प्रकरण को निपटाने, पारिवारिक मामले, बैंकिंग व वित्तीय संस्थाओं के मामले निपटाए जाएंगे।
नहीं करते लोग पहल
विवादों से जुड़े मामलों को सुलझाने में लोग कई बार पहल नहीं करते हैं। छोटे मुकदमे भी अदालतों में पहुंच जाते हैं। इसके चलते राजस्व और अन्य अदालतों में भी पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। बढ़ते मुकदमों से खुद अदालत भी परेशान है। लोक अदालत और फास्र्ट ट्रेक कोर्ट खोलने का मकसद भी यही है। ताकि लोगों के मुकदमों का जल्द निस्तारण हो सके। इसके बावजूद लोग मध्यस्थता अथवा बातचीत में हिचकिचाते हैँ।
विवादों से जुड़े मामलों को सुलझाने में लोग कई बार पहल नहीं करते हैं। छोटे मुकदमे भी अदालतों में पहुंच जाते हैं। इसके चलते राजस्व और अन्य अदालतों में भी पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। बढ़ते मुकदमों से खुद अदालत भी परेशान है। लोक अदालत और फास्र्ट ट्रेक कोर्ट खोलने का मकसद भी यही है। ताकि लोगों के मुकदमों का जल्द निस्तारण हो सके। इसके बावजूद लोग मध्यस्थता अथवा बातचीत में हिचकिचाते हैँ।
आंकड़ों की जुबानी
बैंच की संख्या – 52 कुल प्रकरण – 80 हजार
चिन्हित प्रकरण – 55 हजार राजीनामा योग्य प्रकरण – 10 हजार 889
विचाराधीन प्रकरण – 9824 प्री लिटीगेशन प्रकरण – 1065
दस वर्ष पुराने प्रकरण में – 1371.
बैंच की संख्या – 52 कुल प्रकरण – 80 हजार
चिन्हित प्रकरण – 55 हजार राजीनामा योग्य प्रकरण – 10 हजार 889
विचाराधीन प्रकरण – 9824 प्री लिटीगेशन प्रकरण – 1065
दस वर्ष पुराने प्रकरण में – 1371.