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राजस्थान के ह्रदय अजमेर में किडनी रोग के प्रति लापरवाही!

locationअजमेरPublished: Apr 15, 2019 11:05:28 pm

– मेडिकल कॉलेज भी प्राइवेट कंपनी के भरोसे, पीपीपी मोड पर डायलिसिस का नहीं तोड़-नेफ्रॉलॉजिस्ट, ना तकनीशियन, डायलिसिस मशीनें भी नहीं पर्याप्त-पीपीपी मोड पर संचालित होने से प्राइवेट कंपनी की मौजां

Negligence towards kidney disease in Ajmer

राजस्थान के ह्रदय अजमेर में किडनी रोग के प्रति लापरवाही!

अजमेर. अजमेर संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में डायलिसिस सुविधा प्राइवेट कंपनी के भरोसे पीपीपी मोड पर चल रही है। पिछले चार सालों से प्राइवेट अस्पताल व प्राइवेट कंपनी के भरोसे किडनी रोगियों की डायलिसिस की जा रही है। खास बात यह है कि इतने सालों में सरकारी तंत्र (अस्पताल प्रशासन) अपने स्तर पर डायलिसिस संचालित नहीं कर पाया। जबकि इसके लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। अजमेर में करीब 300 से अधिक किडनी रोगियों का इलाज भगवान भरोसे है।
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के इस अस्पताल में अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा, टोंक, राजसमंद सहित अन्य जिलों के मरीज डायलिसिस करवाने पहुंचते हैं। शर्तों के बावजूद नियमित रूप से नेफ्रोलॉजिस्ट की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। नेफ्रोलॉजी विभाग के अधीन डायसिसिस की सुविधा सिर्फ मॉनिटरिंग तक सीमित है। यही नहीं नेफ्रोलॉजिस्ट की सुविधा भी संबंधित कंपनी शहर के एक प्राइवेट अस्पताल से हायर कर उपलब्ध करवा रही है। डायसिसिस का जिम्मा संभालने वाली कंपनी के प्रतिनिधि भी सिर्फ तकनीशियन पर निर्भर हैं। यहां नियमित नेफ्रोलॉजिस्ट की व्यवस्था का अभाव है।
डायलिसिस की पिछले तीन महीनों की स्थिति

माह कुल डायलिसिस

जनवरी 733

फरवरी 729

मार्च 718

नेफ्रोलॉजिस्ट ही नहीं मेडिकल कॉलेज में

डायसिसिस सेन्टर जहां पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा है, मगर मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजिस्ट ही नहीं है। अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट के अभाव में फिजिशियन ही किडनी रोगियों को परामर्श दे रहे हैं। अस्पताल व मेडिकल कॉलेज स्तर पर डायलिसिस की मॉनिटरिंग भी इन्हींं के भरोसे चल रही है।
इनका कहना है

मेडिकल कॉलेज में स्थायी रूप से नेफ्रोलॉजिस्ट की जरूरत है। सरकार को चुनाव बाद प्रस्ताव भेजेंगे। यही प्रयास किया जा रहा है ताकि किडनी रोगियों को बेहतर इलाज मिल सके।
डॉ.वीर बहादुर सिंह, प्रिंसीपल जेएलएन मेडिकल कॉलेज

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