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अजमेर

राजस्व मंडल से तहसील-उपखंड मुख्यालयों तक हो सकता है नेटवक

मंडल के कामकाज पर उठते रहे हैं सवाल

अजमेरApr 14, 2021 / 08:17 pm

bhupendra singh

boar ajmer

bor ajmer

अजमेर. जमीन संबंधी विवादों और राजस्व मामलों में फैसला देने वाले राजस्व मंडल के घूसकांड ने पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। एसीबी के लिए राजस्व मंडल से लेकर तहसील-उपखंड मुख्यालयों तक नेटवर्क को खंगालना जरूरी हो गया है। जिस तरह दो सदस्य और दलाल (वकील) पैसों की लेन-देन कर फैसला कर रहे थे उससे भ्रष्टाचार की कई परतें खुलने के आसार हैं।राजस्व मंडल में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और मंडल सदस्य सुनील शर्मा और बी.एल.मेहरडा के खिलाफ राजस्व मामलों से जुड़े फैसलों और राजस्व बैंच बनाने को लेकर फिक्सिंग की शिकायत मिली थी। दलाल (वकील) शशिकांत जोशी इसमें अहम कड़ी था। जोशी दोनों सदस्यों को उनके कई रेवेन्यू केसों में फैसला लिखकर संबंधित पार्टी को दिखाकर जारी करता था बोर्ड के प्रकरणों में भी जो अधिक रकम देता था दलाल उसके पक्ष में फैसला करवाता था।नीचे तक हो सकता है नेटवर्क दलाल जोशी का जिस तरह फैसलों में हस्तक्षेप रहता था उसके चलते नेटवर्क निचले स्तर होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। तहसील, उपखंड, जिला और संभाग स्तर तक रेवेन्यू के सैंकड़ों मामले विचाराधीन हैं। एसीबी के अधिकृत सूत्रों की मानें तो दलाल जोशी के नेटवर्क में तहसील से संभाग स्तर के कई वकील, भू-माफिया, स्टाम्प वेंडर और अन्य व्यक्तियों के शामिल हो सकते हैं। यह राज उसके लेपटॉप, जब्त पत्रावलियों और पूछताछ में सामने आएगा।कई अफसरों को मंडल पसंद
राजस्व मंडल में 6 आईएस, 13 आरएएस सहित दो वकील कोटे से सदस्यों की नियुक्ति होती है। आईएएस अफसरों के बजाय कई आरएएस अफसरों की राजस्व मंडल में तैनाती पहली पसंद रही है। आरएएस अफसरों की तबादला सूची में अक्सर अजमेर में तैनात कई अधिकारी घूम-फिरकर मंडल में निबंधक या सदस्यों के रूप में नियुक्ति पाने में कामयाब रहे हैं। राजस्व से जुड़े ज्यादातर फैसलों में कानूनी जानकार होने के कारण वकीलों की दखलंदाजी रहती है।
फैसलों की हो सकती है जांच

एसीबी का जांच का दायरा बढऩे पर मंडल में पिछले छह महीने से एक साल के बीच हुए फैसलों की जांच हो सकती है। खासतौर पर अध्यक्ष और मंडल सदस्यों के स्तर पर फैसले एसीबी की रडार में हैं। सदस्यों और उनके निजी सचिवों के चैंबर इसीलिए सील किए गए हैं। सदस्यों के चैंबरों में डायरी-कंप्यूटर और अन्य दस्तावेजों की जांच में परत दर परत मामला सामने आने के आसार हैं। सालोदिया के खिलाफ जांच पेंडिंग!राजस्व मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष उमराव सालोदिया के खिलाफ बैक डेट में फैसला लेने का आरोप लग चुका है। उनके खिलाफ कथित तौर पर फाइलों में हेर-फेर का मुकदमा चल रहा है। इसमें आरएएस कोटे के सदस्यों की भी भूमिका सामने आई थी। करीब 15 साल पहले एक आईएएस सदस्य को रिश्वत लेकर फैसला करने के मामले में जयपुर में ट्रेप किया गया था। एक अन्य आईएएस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
राज्य और अजमेर की शान है मंडल

राजस्व मंडल राजस्थान सहित अजमेर की शान रहा है। इसमें राज्य भर के भूमि-राजस्व मामलों की सुनवाई और फैसले होते हैं। जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाए जाने पर राव कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अजमेर को महत्ता दी गई। यहां आरपीएससी, राजस्व मंडल, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, महानिदेशक पंजीयन एवं मुद्रांक, कर बोर्ड जैसे अहम दफ्तर स्थापित हुए। सीबीएसई, भारतीय खान ब्यूरो और अन्य दफ्तर पहले ही संचालित हैं।

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