राजस्व मंडल में 6 आईएस, 13 आरएएस सहित दो वकील कोटे से सदस्यों की नियुक्ति होती है। आईएएस अफसरों के बजाय कई आरएएस अफसरों की राजस्व मंडल में तैनाती पहली पसंद रही है। आरएएस अफसरों की तबादला सूची में अक्सर अजमेर में तैनात कई अधिकारी घूम-फिरकर मंडल में निबंधक या सदस्यों के रूप में नियुक्ति पाने में कामयाब रहे हैं। राजस्व से जुड़े ज्यादातर फैसलों में कानूनी जानकार होने के कारण वकीलों की दखलंदाजी रहती है।
फैसलों की हो सकती है जांच एसीबी का जांच का दायरा बढऩे पर मंडल में पिछले छह महीने से एक साल के बीच हुए फैसलों की जांच हो सकती है। खासतौर पर अध्यक्ष और मंडल सदस्यों के स्तर पर फैसले एसीबी की रडार में हैं। सदस्यों और उनके निजी सचिवों के चैंबर इसीलिए सील किए गए हैं। सदस्यों के चैंबरों में डायरी-कंप्यूटर और अन्य दस्तावेजों की जांच में परत दर परत मामला सामने आने के आसार हैं। सालोदिया के खिलाफ जांच पेंडिंग!राजस्व मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष उमराव सालोदिया के खिलाफ बैक डेट में फैसला लेने का आरोप लग चुका है। उनके खिलाफ कथित तौर पर फाइलों में हेर-फेर का मुकदमा चल रहा है। इसमें आरएएस कोटे के सदस्यों की भी भूमिका सामने आई थी। करीब 15 साल पहले एक आईएएस सदस्य को रिश्वत लेकर फैसला करने के मामले में जयपुर में ट्रेप किया गया था। एक अन्य आईएएस पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
राज्य और अजमेर की शान है मंडल राजस्व मंडल राजस्थान सहित अजमेर की शान रहा है। इसमें राज्य भर के भूमि-राजस्व मामलों की सुनवाई और फैसले होते हैं। जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाए जाने पर राव कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अजमेर को महत्ता दी गई। यहां आरपीएससी, राजस्व मंडल, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, महानिदेशक पंजीयन एवं मुद्रांक, कर बोर्ड जैसे अहम दफ्तर स्थापित हुए। सीबीएसई, भारतीय खान ब्यूरो और अन्य दफ्तर पहले ही संचालित हैं।