दो करोड़ रुपए से बनाया था न्यूरोलॉजी विभाग न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बी. एस. दत्ता ने बताया कि न्यूरोलॉजी विभाग के भवन निर्माण के लिए उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री से अस्पताल में ही बात की थी। इसके बाद एक करोड़ रुपए राज्य सरकार ने मंजूर किए एवं एक करोड़ रुपए श्री सीमेन्ट प्रबंधन के सहयोग से खर्च कर करीब दो करोड़ रुपए में पूरा भवन बना जिसमें, आईसीयू, ऑटी, दो वार्ड व नीचे कमरे व वार्ड बनाए गए। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन ने न्यूरोलॉजी विभाग के आईसीयू व ओटी को सर्जरी व अन्य में समायोजित कर दिया।
अब व्हील चेयर से मरीजों तक पहुंचते हैं डॉ. दत्ता न्यूरो के प्रथम तल पर मॉड्यूलर ओटी के लिए अलग से दीवार खड़ी करने से डॉ. दत्ता आईसीयू, ईएमयू वार्डों में भर्ती मरीजों तक पहुंचने के लिए व्हील चेयर की मदद ले रहे हैं। पूर्व में लिफ्ट से प्रथम तल तक पहुंचकर आईसीयू में भी वे मरीजों को उपचार उपलब्ध करा देते थे। गौरतलब है कि डॉ. दत्ता कैंसर से पीडि़त होने के साथ एक सड़क दुर्घटना में घायल हो चुके हैं।
दस में से 7 वेंटीलेटर खराब, ऑक्सीजन सेन्ट्रल लाइन भी नहीं न्यूरोलॉजी विभाग में दस वेंटीलेटर स्वीकृत हैं मगर इनमें से मात्र तीन संचालित हैं, 7 खराब पड़े हैं। वहीं ऑक्सीजन सेन्ट्रल लाइन भी नहीं है। जबकि न्यूरोलॉजी विभाग में वेंटीलेटर व ऑक्सीजन सेन्ट्रल लाइन की अत्यंत आवश्यकता है। यहां 24 बैड स्वीकृत हैं।
इनका कहना है… न्यूरो के मरीजों के ऑपरेशन के लिए ओटी छोटे से हिस्से में बनाई है, आईसीयू भी मॉड्यूवर ओटी में मिलाकर दीवार खड़ी कर दी गई। अब करीब आधा किमी घूमकर मरीजों तक पहुंचना पड़ता है, इसमें मुख्य आईसीयू, ईएमयू वार्ड आदि शामिल हैं।
डॉ. बी. एस. दत्ता, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी विभाग अगर न्यूरो सर्जरी में सात वेंटीलेटर खराब हैं तो दिखवाते हैं। अभी एमसीआई के किसी निरीक्षण के लिए अन्यंत्र हूं। डॉ. वीर बहादुर सिंह, प्रिंसीपल, जेएलएन मेडिकल कॉलेज