अकादमिक निदेशक जोसफ इमेन्यूएल ने बड्डताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने पिछले साल कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की योजना तैयार की थी। इसका मकसद विद्यार्थियों को प्राचीन भारतीय कला, संस्कृति, विविधता, एकता को समझाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के ड्राफ्ट में भी इसे शामिल किया गया है।
चलेगा पहले से दसवीं कक्षा तक
सत्र 2020-21 से कला एवं संस्कृति एकीकृत प्रोजेक्ट पहली से दसवीं कक्षा तक चलेगा। इसका मकसद अध्ययन-्अध्यापन को रोचक एवं विविधता पूर्ण बनाना है। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए यह अन्तर विषय के रूप में चलेगा। जबकि नवीं और दसवीं कक्षा में एकीकृत प्रोजेक्ट के रूप में संचालित होगा।
सत्र 2020-21 से कला एवं संस्कृति एकीकृत प्रोजेक्ट पहली से दसवीं कक्षा तक चलेगा। इसका मकसद अध्ययन-्अध्यापन को रोचक एवं विविधता पूर्ण बनाना है। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए यह अन्तर विषय के रूप में चलेगा। जबकि नवीं और दसवीं कक्षा में एकीकृत प्रोजेक्ट के रूप में संचालित होगा।
राज्यों के बनाए समूह
विद्यार्थी विभिन्न राज्यों की कला, संस्कृति, वेशभूषा, भाषा, नृत्य और अन्य को समझें इसके लिए अलग-अलग समूह बनाए गए हैं। राजस्थान को असम के साथ जोड़ा गया है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश को केरल, पंजाब को आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल को लद्दाख, गुजरात को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश को मणिपुर-नागालैंड से जोड़ा गया है। इसी तरह अन्य राज्यों के भी समूह बनाए गए हैं।
विद्यार्थी विभिन्न राज्यों की कला, संस्कृति, वेशभूषा, भाषा, नृत्य और अन्य को समझें इसके लिए अलग-अलग समूह बनाए गए हैं। राजस्थान को असम के साथ जोड़ा गया है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश को केरल, पंजाब को आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल को लद्दाख, गुजरात को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश को मणिपुर-नागालैंड से जोड़ा गया है। इसी तरह अन्य राज्यों के भी समूह बनाए गए हैं।
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यूं चलेगा प्रोजेक्ट
-विषय अध्यापक और कला शिक्षक आवंटित करेंगे प्रोजेक्ट
-ईको-फे्रंडली होंगे प्रोजेक्ट, कोई वित्तीय भार नहीं होगा
-चित्र, नृत्य, लघु थीसिस, वीडियो-फोटो आधारित हो सकते हैं प्रोजेक्ट
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वर्क फ्रॉम: 33 प्रतिशत कर्मचारी चला रहे राजस्थान रोडवेज अजमेर. कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन ने सरकारी, निजी कार्यालयों में कामकाज की नई प्रणाली विकसित हो गई है। वर्क फ्रॉम होम नवाचार से पर्यावरण के साथ-साथ दफ्तरों में स्वच्छता और भीड़ भी कम दिखने लगी है।
अजमेर में रोडवेज के तीनों डिपो, कार्यशाला हैं। यहां वर्क फ्रॉम होम प्रणाली से काफी फायदे हो सकते हैं। रोडवेज बस स्टैंड पर अजमेर, अजयमेरू और सीबीएस डिपो के दफ्तर हैं। इसके अलावा यहां बसों को ठीक करने के लिए वर्कशॉप हैं। आम दिनों में यहां यात्रियों की लगातार आवाजाही, रोजाना अप-डाउन करने वाले सरकारी कार्मिकों, परिचय पत्र और अन्य कार्ड बनाने के लिए भीड़ रहती थी।