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Big Issue: काश बचाते अनमोल पानी, नहीं होती कोई चिंता

locationअजमेरPublished: Sep 14, 2018 04:26:49 am

Submitted by:

raktim tiwari

www.patrika.com/rajasthjan-news

rain

rain water harvesting

रक्तिम तिवारी/अजमेर।

कम बारिश सेइस बार बीसलपुर बांध में पर्याप्त नहीं आया है। दो-तीन की कटौती के बाद लोगों को पीने का पानी नसीब हो रहा है। इसके बावजूद धरती पर बरसने वाले अनमोल ‘ नीर ’ की महत्ता लोगों को समझ नहीं आई है। हजारों लीटर पानी सडक़ों-नालियों में बेकार बह जाता है। लेकिन 70 फीसदी से ज्यादा घरों और सरकारी दफ्तरों में बरसाती पानी को बचाने के इंतजाम नहीं है।
अजमेर जिले में साल दर साल बरसात घट रही है। फिर भी पानी की बचत के प्रति लोग सचेत नहीं है। केंद्र अैार राज्य सरकार ने सभी सरकारी अैार निजी विभागों, आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों को बरसात के पानी को संग्रहण करने के निर्देश दिए हैं। कुछ सरकारी दफ्तरों एवं घरों में शुरुआत हुई है पर 30-40 फीसदी से ज्यादा नहीं है। घरों-सरकारी दफ्तरों में लोग पानी की किल्लत से वाकिफ है। बारिश के दौरान बरसने वाले अमृत को भूमिगत टैंक में संरक्षित करने के प्रयास नहीं हो रहे।
अब याद आई बूंद-बूंद की….

इस बार अजमेर संभाग में कम बारिश हुई है। बीसलपुर बांध में करीब 309 में महज आरएल मीटर पानी है। अजमेर, जयपुर शहर और ग्रामीण इलाकों को आगामी दस महीने इस पानी के भरोसे रहना है। जलदाय विभाग तो एक पखवाड़े पहले ही 48 से 72 घंटे में पानी की सप्लाई देने की शुरुआत कर चुका है। सरकार, जिला प्रशासन और लोगों को बीसलपुर बांध की एक-एक बूंद की कीमत अब समझ आ रही है।
नहीं बचा रहे बरसात का पानी

सरकार अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम के निर्देशों के बावजूद घरों और सरकारी दफ्तरों में लोग बरसात का पानी नहीं बचा रहे। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, मेडिकल, दयानंद कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज सहित केंद्र सरकार के विभिन्न महकमे, निजी स्कूल, अद्र्ध सरकारी विभाग शामिल हैं। जल संसाधन विकास के दफ्तर, बिजली विभाग और अन्य कार्यालय भी पीछे हैं।
वरना बचे हजारों लीटर पानी
सडक़ों-नालियों में बहने वाले बरसात का पानी बहुत कीमती है। जगह-जगह भूमिगत टैंक में इसका संग्रहण हो तो प्रतिवर्ष हजारों लीटर पानी सहज मिल सकता है। जिले में मानसून के दौरान जून से सितम्बर तक मानसून एवं जनवरी-फरवरी में मावठ के दौरान बरसात होती है। अधिकांश सरकारी महकमों, निजी प्रतिष्ठानों, स्कूल-कॉलेज और घरों का पानी सडक़ पर यूं ही बह जता है। सावित्री स्कूल चौराहा, जयपुर रोड, नला बाजार, कचहरी रोड, मदार गेट, महावीर सर्किल, वैशाली नगर, और मार्टिंडल ब्रिज सहित कुछ खास जगह पानी का भराव ज्यादा होता है।
टैंकर करते हैं जेब ढीली

जलदाय विभाग प्रतिमाह व्यावसायिक और घरेलू उपयोग पर पानी के बिल भेजता है। घरों, सरकारी-निजी महकमों, स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थाओं में औसत बिल 250 से 400 रुपए तक आता है। गर्मियों में पानी की किल्लत होने पर लोगों को 500 से 700 रुपए देकर टैंकर मंगवाने पड़ते हैं। पानी की किल्लत ज्यादा होने पर टैंकर वाले मनमाने दाम वसूलने से नहीं चूकते हैं।आधा पानी पहुंचता जलाशयों तकबरसात के रूप में जिले में करीब 5,550 एमसीएफटी पानी गिरता है। इसमें से ढाई हजार एमसीएफटी पानी ही झीलों-तालाबों अथवा भूमिगत टैंक तक पहुंचता है। बाकी पानी व्यर्थ बह जाता है। इसके अलावा जलाशयों-नदियों के पानी आवक मार्ग अतिक्रमण की चपेट में हैं।
होने चाहिए यह इंतजाम….
-शहर में जहां पानी ज्यादा एकत्रित हो वहां बने भूमिगत टैंक
-घरों-दफ्तरों में छतों का पानी हो टैंक में एकत्रित
-नाले-नालियों से बहते पानी का हो उचित जगह संग्रहण
-नागौर जिले की तरह बने पानी के बड़े टांके
-तालाब-झील और नदियों के पानी आवक मार्ग से हटे अतिक्रमण
नहीं पार कर पाए औसत आंकड़ा (1 जून से 30 सितम्बर)
2012-520.2
2013-540
2014-545.8
2015-381.44
2016-512.07
2017-450
2018 में अब तक बारिश-354.58
(आंकड़े जल संसाधन विभाग के अनुसार)

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