राज्यपाल कल्याण सिंह ने महर्षि मदस विवि का अतिरिक्त प्रभार महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह को सौंपा है। वे १९ जुलाई से यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। स्वाधीनता दिवस समारोह में अब तक कुलपति (स्थायी अथवा कार्यवाहक) ही ध्वज फहराते रहे हैं। पहली बार विश्वविद्यालय पसोपेश में है।
बीकानेर रहेंगे या अजमेर! प्रो. सिंह महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के स्थायीकुलपति हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय का प्रभार उनके पास अतिरिक्त है। स्थायी कुलपति होने के नाते वे बीकोनर में ध्वज फहरा सकते हैं। ऐसा हुआ तो अजमेर में कार्यवाहक कुलसचिव प्रो.बी. पी. सारस्वत ध्वज फहराएंगे। यदि प्रो. सिंह ने अजमेर में ध्वजारोहण किया तो बीकानेर में वहां के विश्वविद्यालय के कुलसचिव या कोई शिक्षक ध्वज फहराएगा।
पहली बार आई ये स्थिति १ अगस्त १९८७ को स्थापित महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में पहली बार ऐसी स्थिति आई है। स्थापना वर्ष में तत्कालीन संभागीय आयुक्त प्रियदर्शी ठाकुर ने ध्वजारोहण किया था। यहां स्थायी कुलपतियों का कार्यकाल खत्म होने पर संभागीय आयुक्त को कार्यभार दिया जाता रहा है। पहली बार संभागीय आयुक्त की बजाय किसी अन्य विश्वविद्यालय के कुलपति को जिम्मेदारी दी गई है। मालूम हो कि यहां पहले कुलपति प्रो. रामबलि उपाध्याय, अलका काला (संभागीय आयुक्त), प्रो. कांता आहूजा, डॉ. पी. एल. चतुर्वेदी, प्रो. डी. एन. पुरोहित, तपेश्वर कुमार, प्रो. के. सी. शर्मा, प्रो. एम. एल. छीपा, दीपक उप्रेती, प्रो. भगीरथ सिंह, अतुल शर्मा, प्रो. रूपसिंह बारेठ, आर. के. मीणा, प्रो. कैलाश सोडाणी ध्वजारोहण कर चुके हैं।
ऋषि दयानंद के नाम से विश्वविद्यालय अजमेर में ऋषि दयानंद सरस्वती के नाम से महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय बनाया गया है। अजमेर मे ही ऋषि दयानंद का भिनाय कोठी में निर्वाण हुआ था। उनके नाम से इस विश्वविद्यालय में ऋषि दयानंद शोध पीठ भी स्थापित होगी। यहां शोध कार्य, वैदिक सम्मेलन, संगोष्ठी और अन्य कार्य होंगे।