scriptअब प्राइवेट बस ऑपरेटर का फुटपाथ पर कब्जा | Now private bus operator occupies the sidewalk | Patrika News

अब प्राइवेट बस ऑपरेटर का फुटपाथ पर कब्जा

locationअजमेरPublished: Dec 07, 2019 11:28:13 pm

Submitted by:

manish Singh

गौरव पथ पर फुटपाथ पर खड़ी रहती है बसें

अब प्राइवेट बस ऑपरेटर का फुटपाथ पर कब्जा

अब प्राइवेट बस ऑपरेटर का फुटपाथ पर कब्जा

अजमेर. अजमेर से पुष्कर-नागौर मार्ग पर चलने वाली प्राइवेट बसों के ऑपरेटर्स ने अब गौरव पथ के फुटपाथ पर कब्जा जमा लिया है। हालात यह है कि पैदल राहगीर व दुपहिया वाहन चालकों के लिए यहां बने फुटपाथ पर भी बसों की अवैध तरीके से पार्किंग की जाती है। इसके बावजूद शहर यातायात पुलिस की नजर यहां खड़ी होने वाली प्राइवेट बसों पर नहीं जाती है। इससे आमजन को खासा परेशानी का सामाना करना पड़ता है।
गौरव पथ चौपाटी के पास अवैध रूप से संचालित प्राइवेट बसों के ऑपरेटर अपने मनमाने ढंग से ही पार्किंग करते है। हालात तो यह है कि शनिवार और रविवार को तो बस ऑपरेटर्स की मनमानी सड़क, फुटपाथ पर उतर आती है। यातायात पुलिस से बेखौफ बस चालक बसों को गौरव पथ के फुटपाथ पर ही पार्क कर सवारियों को इंतजार करना शुरू हो जाते है। आनासागर लिंक रोड तिराहे से लेकर क्रिश्चियन गंज स्थित पार्किंग के बीच एक या दो नहीं बल्कि 4-5 बसें खड़ी कर यात्रियों को बैठाया जाता है। यहीं पर बसों में लदान के लिए आने वाला सामान भी सड़क पर चढ़ाया जाता है। ऐसे में फुटपाथ व सड़क पर होने वाली भीड़भाड़ से यहां से गुजरने वाले राहगीर व वाहन चालकों को खासा परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है।
जहां चाहा वहां लगाया ब्रेक

गौरव पथ पर अवैध तरीके से खड़ी होने वाली बसों का मुद्दा कोई नया नहीं है। सालों से यातायात पुलिस और जिला प्रशासन प्राइवेट बस ऑपरेटर्स की मनमानी को नजरअंदाज किए हुए है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मार्ग पर चलने वाली प्राइवेट बसों के चालक जब चाहे वहां ब्रेक लगा सवारी चढ़ाते उतारते चलते है। उन पर किसी तरह का कोई अंकुश नहीं है। इसका खामियाजा क्षेत्र में रहने वाले आमजन व राहगीर को भुगतना पड़ता है।
करोड़ों रुपए गए बेकार
एडीए ने करीब सौ करोड़ रुपए की लागत का नौसर घाटी में प्राइवेट बस स्टैंड विकसित किया। बस स्टैंड को विकसित किए दस साल से ज्यादा का वक्त बीत गया लेकिन प्रशासन और यातायात पुलिस यहां से बसों का संचालन करने में नाकाम ही रहे। ऑपरेटर्स के दबाव के आगे प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
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