निगम सचिव (प्रशासन) एन. एल.राठी ने परिपत्र जारी किया है। परिपत्र के अनुसार वृत के कार्यालयों के कार्यालयाध्यक्ष प्रतिमाह उपस्थिति पत्रक 16 से 20 तारीख तक कार्मिक अधिकारी को भेजेंगे। निगम मुख्यालय में स्थिति विभिन्न कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन विपत्र उस शाखा के मुख्य अभियंता/ विभागाध्यक्ष की ओर से तैयार किए जाएंगे। चार माह तक लेखाधिकारी कार्यालय व कार्मिक अधिकारी कार्यालय का स्टाफ एक साथ लेखाधिकारी कार्यालय में कार्य करेगा तथा प्रक्रिया को सम्पूर्ण रूप से समझेगा।
इसलिए करना पड़ा प्रक्रिया में बदलाव
निगम में 2 करोड़ 22 लाख रुपए के गबन के मामले में अब मुख्य आरोपित निलम्बित सहायक प्रशासनिक अधिकारी अन्नपूर्णा सैन ने मुख्यालय के रोकडिय़ा एवं संस्थापन (ईएंड कैश) शाखा में रोकडिय़ा के पद पर रहते हुए अप्रेल 2017 से मई 2018 के दौरान 1 करोड 79 लाख 80 हजार 208 तथा एओ एडीसी में रोकडिय़ा के पद रहते हुए 41 लाख 63 हजार 555 रुपए का गबन किया था। अन्नपूर्णा ने कर्मचारियों अधिकारियों की लीव इन कैश की राशि भी खुद ही भुनाते हुए पैसा हड़प कर लिया था। इसमें एसई व ऊपर के 56 अधिकारी सहित 125 अधिकारी है।
गजेटेड अधिकारियों को वर्ष में 15 दिन के लीव इन कैश की एवज में लीव सरेंडर करने पर आधी तनख्वाह का प्रावधान है।अन्नपूर्णा ने बिना अधिकारियों कर्मचारियों की प्रार्थना पत्र पर खुद ही उनकी लीव इन कैश की राशि सैलरी बिल में जोड़ लेती थी। एओ से इसे पास करवाती तथा चेक भी खुद ही बनाती। तनख्वाह व लीव इन कैश की राशि अलग-अलग कर तनख्वाह कर्मचारी के खाते तथा लीव इन कैश की राशि अपने खाते में ट्रांसफर करवा लेती थी। कर्मचारी को पूरी तनख्वाह मिल जाती थी, इसलिए मामला पकड़ में नहीं आया था। इसके अलावा एओ ने सरेंडर लीव के प्रार्थना पत्रों की जांच भी नहीं की थी