ऐसे घेरा जैसे एडीए अधिकारी आ गए हों… पत्रिका टीम बुधवार को जैसे ही मौके पर पहुंची, वहां मकानों में कब्जा कर रह रहे लोग एक-एक कर बाहर आकर टीम को घेरकर खड़े हो गए। उनमें से एक ने कहा कि साहब…आप हमारा नाम लिख लो, हम पांच-छह साल से यहां रह रहे हैं…। इसके बाद सभी एक-एक कर अपना नाम बोलने लगे। उनका कहना था कि उनके पास रहने के लिए छत नहीं है। यहां रहने लग गए तो अब उनके नाम ही इन आवासों का आवंटन भी हो।
किसने क्या कहा. . . हम कचरा बीनने का काम करते हैं। पहले 400-500 रुपए में किराए पर रहते थे। बाद में इन मकानों का पता चला तो यहां आकर रहने लग गए। यहां बने हुए लगभग सभी मकानों में हम जैसे ही लोग रह रहे हैं। मैंने फार्म भी भर रखा है लेकिन अभी तक आवंटन नहीं हुआ।
-रेखा
मैं पॉलिश करता हूं। पांच साल से यहां रह रहा हूं। फार्म नहीं भरा है लेकिन जो दस्तावेज होंगे, वह देकर निर्धारित पैसे जमा करा दूंगा। -मोनू इसलिए निर्माण अधूरा दरअसल यहां जिन आवासों का आधा-अधूरा निर्माण हुआ उनके खिड़की, दरवाजे, नल व बिजली के उपकरण चोरी हो गए। चोरों के डर के कारण इन अधूरे आवासों का निर्माण करने के लिए ठेकेदार अब तैयार नहीं।
किसी को नहीं हुआ आवंटन दरअसल बीएसयूपी के 224 आवासों में से 102 आवासों के लिए लाभार्थियों का चयन भी कर लिया गया, लेकिन लाभार्थियों ने आवास आवंटन के लिए सहमति नहीं दी तो लॉटरी रद्द करनी पड़ी। प्राधिकरण ने पुन: सर्वे किया लेकिन सड़क किनारे बसे हुए विभिन्न परिवारों में से कोई भी लाभार्थी नहीं मिला।
इनका कहना है जेएनएनयूआरएम के तहत भगवानगंज में 304 आवासों का निर्माण प्राधिकरण अब रिस्क एडं कॉस्ट पर करेगा। इसके लिए पुन: निविदा आमंत्रित की जाकर ठेकेदार की बैंक गारंटी जब्त की जाएगी। ठेकेदार को 5.21 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। 224 आवासों का निर्माण अधूरा है जबकि शेष में फिनिशिंग वर्क बाकी है।
-किशोर कुमार, एडीए सचिव