सुबह से ही ठंडी हवाओं ने कंपकंपना शुरू कर दिया। पहाडिय़ों पर हल्की धुंध मंडराती रही बादलों ने पूरे आसमान को ढांप लिया। इसके चलते लगातार दूसरे दिन सूरज के दर्शन भी नहीं हुए। लोग गुनगुनी धूप को तरस गए। शहर के लोहागल रोड, शास्त्री नगर, पंचशील, माकड़वाली रोड, वैशाली नगर, बजरंगगढ़ चौराहा, जयपुर रोड, केसरगंज, ब्यावर रोड और अन्य इलाकों में बूंदाबांदी भी हुई। जिले के पुष्कर, किशनगढ़, ब्यावर में भी बूंदें टपकी।
सर्द हवाएं, मौसम में गलन
हवा चलने और बादलों से ठंडक का एहसास हुआ। इससे गलन भी बढ़ गई। सड़कों के किनारे लोग सूखी पत्तियों और लकडिय़ों से अलाव जलाकर बैठे रहे। घरों-दफ्तरों में भी हीटर जलाने पड़े। मौसम का मिजाज देखकर लोग सिर से पैर तक ऊनी कपड़ों में लिपटे रहे। सर्द मौसम के चलते सड़कों पर भी ज्यादा चहल-पहल नजर नहीं आई है।
हवा चलने और बादलों से ठंडक का एहसास हुआ। इससे गलन भी बढ़ गई। सड़कों के किनारे लोग सूखी पत्तियों और लकडिय़ों से अलाव जलाकर बैठे रहे। घरों-दफ्तरों में भी हीटर जलाने पड़े। मौसम का मिजाज देखकर लोग सिर से पैर तक ऊनी कपड़ों में लिपटे रहे। सर्द मौसम के चलते सड़कों पर भी ज्यादा चहल-पहल नजर नहीं आई है।
होगी बर्फबारी और मावठ मौसम विभाग के अनुसार ओखी तूफान का असर बना हुआ है। हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में मावठ के आसार हैं। इससे सर्दी का असर और बढ़ सकता है। घने कोहरे के अलावा कई इलाकों में तापमान में गिरावट भी हो सकती है। तेज सर्दी से पाला पडऩे के भी आसार हैं।
नवम्बर में आया था भूकम्प भारत या इसके आसपास होने वाली वाली प्रत्येक प्राकृतिक आपका का अजमेर पर भी असर पड़ता है। 17 नवम्बर को तिब्बत क्षेत्र में आए भूकम्प का असर अजमेर सहित पूरे जिले में दिखा। अजमेर में करीब 2-3 सेकंड तक जमीन हिलती नजर आई। लोग घबराकर घरों और दफ्तरों से बाहर निकल गए। इससे पहले भी अजमेर में वर्ष 2012, 2015 में तीन बार भूकम्प आ चुके हैं।