नगीना बाग निवासी डॉ. कुसुमलता पत्नी रितेश मिश्रा ने पुलिस को बताया कि उसे 15 अक्टूबर को दोपहर में कॉल आया। कॉलर ने स्वयं को एसबीआई शाखा का अधिकारी बताते हुए कहा कि एटीएम कार्ड की जानकारियों के अभाव में एटीएम कार्ड ब्लॉक हो जाएगा। कुछ जानकारी बताने पर वह उसको पुन: चालू कर देगा। वे शातिर ठग के झासे में आ गईं। उन्होंने खाते से जुड़ी तमाम जानकारियां बता दी। आरोपित ने उनके मोबाइल पर आने वाला ओटीपी नम्बर भी जान लिया। जानकारी लेते हुए आरोपित ने ऑनलाइन खरीदारी कर ली।
ओटीपी नम्बर पूछ करवाए डिलिट
आरोपित ने कुसुमलता को लगातार तीन दिन कॉल किया। दूसरे दिन 16 अक्टूबर दोपहर कॉल आया। आरोपित ने पुन: एटीएम चालू करने की बात कहते हुए मोबाइल पर आने वाले ओटीपी नम्बर पूछे। इसी तरह 17 अक्टूबर दोपहर कॉलर ने ओटीपी नम्बर पूछा। तीन दिन में आरोपित ने उनके बैंक खाते से एक लाख 7 हजार रुपए की रकम निकाल ली। आरोपित तीन दिन तक कॉल करने के बाद पीडि़ता से ओटीपी नम्बर पूछने के बाद उसे डिलिट करा देता था।
आरोपित ने कुसुमलता को लगातार तीन दिन कॉल किया। दूसरे दिन 16 अक्टूबर दोपहर कॉल आया। आरोपित ने पुन: एटीएम चालू करने की बात कहते हुए मोबाइल पर आने वाले ओटीपी नम्बर पूछे। इसी तरह 17 अक्टूबर दोपहर कॉलर ने ओटीपी नम्बर पूछा। तीन दिन में आरोपित ने उनके बैंक खाते से एक लाख 7 हजार रुपए की रकम निकाल ली। आरोपित तीन दिन तक कॉल करने के बाद पीडि़ता से ओटीपी नम्बर पूछने के बाद उसे डिलिट करा देता था।
बहन का दिया था हवाला
कुसुमलता ने अपनी रिश्तेदार का बैंक में होने का हवाला दिया, लेकिन आरोपित पर कोई असर नहीं पड़ा। वह अपना काम बड़े शातिराना अंदाज में अंजाम देता रहा। पीडि़ता ने बताया कि 15 अक्टूबर सुबह एटीएम से दस हजार रुपए निकालने गईं तो रकम नहीं निकली और खाते से दस हजार रुपए कट गए। खाते से रकम कटने से वह पहले ही आशंकित थीं। ठग उन्हें एटीएम कार्ड को पुन: चालू करने की बात कहता रहा।
कुसुमलता ने अपनी रिश्तेदार का बैंक में होने का हवाला दिया, लेकिन आरोपित पर कोई असर नहीं पड़ा। वह अपना काम बड़े शातिराना अंदाज में अंजाम देता रहा। पीडि़ता ने बताया कि 15 अक्टूबर सुबह एटीएम से दस हजार रुपए निकालने गईं तो रकम नहीं निकली और खाते से दस हजार रुपए कट गए। खाते से रकम कटने से वह पहले ही आशंकित थीं। ठग उन्हें एटीएम कार्ड को पुन: चालू करने की बात कहता रहा।