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घडिय़ालों के मात्र एक प्रतिशत बच्चे ही चंबल में रह पाते है सुरक्षित

locationअजमेरPublished: Dec 06, 2020 11:53:48 pm

Submitted by:

Dilip

बरसात, नदी में बेग और अवैध खनन है मुख्य कारण, हर साल २०० अण्डों को लाया जाता है प्रजनन के लिए
चंबल में घडिय़ाल के बच्चों को घूमते हुए देखकर सब का मन प्रफुल्लित हो उठता है लेकिन यह सुनकर हैरानी होगी के चंबल में बड़ी तादाम में विचरण करने वाले घडिय़ाल के बच्चों में मात्र एक से दो प्रतिशत ही जीवित रह पाते है। कारण बरसात, नदी में पानी का बेग और अवैध खनन इसका मुख्य कारण है। इन कारणों के चलते पहले ही करीब २०० अण्डों को घरोंदो से निकाल कर घडिय़ाल केयर सेंटर पर रखा जाता है।

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-बरसात, नदी में बेग और अवैध खनन है मुख्य कारण

– हर साल २०० अण्डों को लाया जाता है प्रजनन के लिए

धौलपुर. चंबल में घडिय़ाल के बच्चों को घूमते हुए देखकर सब का मन प्रफुल्लित हो उठता है लेकिन यह सुनकर हैरानी होगी के चंबल में बड़ी तादाम में विचरण करने वाले घडिय़ाल के बच्चों में मात्र एक से दो प्रतिशत ही जीवित रह पाते है। कारण बरसात, नदी में पानी का बेग और अवैध खनन इसका मुख्य कारण है। इन कारणों के चलते पहले ही करीब २०० अण्डों को घरोंदो से निकाल कर घडिय़ाल केयर सेंटर पर रखा जाता है।
मादा घडिय़ाल एक समय में मार्च-अपे्रल के माह में चंबल के किनारे बजरी में बने अपने घोंसले में ४० से ६० अंडे देती है। यह अंडे से करीब ६५ दिन बाद जून माह तक बच्चे बाहर आ जाते है। इस दौरान बारिश का दौर भी शुरू हो जाता है। बारिश के दौरान पानी के बेग और चंबल में बाढ़ की स्थिति के दौरान घडिय़ालों के छोटे-छोटे बच्चे बहकर मर जाते है। इसके बाद भी जो बच्चे सुरक्षित रहते है, उन्हें जंगली जानवर जैसे चील, गिद्ध व मगरमच्छ आदि खा जाते है। इसके बाद मात्र एक से दो प्रतिशत ही चंबल नदी में जन्मे बच्चे सुरक्षित रह पाते है।
हर साल लिए घोंसलों से लिए जाते है २०० अंडे
मानद वन्य जीव प्रतिपालक राजीव तोमर ने बताया कि हर साल चंबल क्षेत्र से घडिय़ालों के अलग-अलग घरोंदों से करीब २०० अंडे प्राकृतिक प्रजनन के लिए जाते है। इन अंडों को बजरी की कई परतें बिछाते हुए बाक्स में रखा जाता है। इसके बाद अंडों की हैचिंग प्राकृतिक तरीके से की जाती है और ६५ दिन पूरे होने के बाद बच्चे बाहर निकल आते है। इन बच्चों को मुरैना के देवरी स्थित घडिय़ाल केयर सेंटर में रखा जाता है। इनकी देखरेख करते हुए करीब पांच वर्ष बाद इनकी लम्बाई १.२ मीटर हो जाने के बाद सर्दियों में फिर से चंबल में छोड़ दिया जाता है।
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