ऑक्सीजन प्लांट के लिए एक भी टेक्निकल स्टाफ नहीं है। ऑक्सीजन प्लांट से आक्सीजन लाइन में सप्लाई बाधित होने पर गोरखपुर में कई बच्चों व मरीजों की मौत होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में गंभीरता नहीं बरती जा रही है। यह लापरवाही कभी भी भारी पड़ सकती है। खासकर शिशु औषध विभाग के आईसीयू व आपातकालीन इकाई में चंद मिनटों की बाधित सप्लाई कई बच्चों की सांसों को उखाड़ सकती है।
अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति आपातकालीन इकाई के पास स्थित ऑक्सीजन के मुख्य प्लांट से सेन्ट्रलाइजेशन ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है। यहां दो प्लांट हैं। वहीं सात और छोटे प्लांट हैं जहां पर नर्सिंगकर्मी एवं वार्डबॉय सेवाएं दे रहे हैं।
प्रभारी ने मांगे कार्मिक, वह भी नर्सिंग ऑक्सीजन प्लांट के लिए प्रभारी मेल नर्स
कन्हैयालाल मोयल ने भी प्लांट की देखभाल के लिए अन्य नर्सिंग कर्मियों की डिमांड की है। जबकि तकनीशियन के लिए कोई गौर नहीं कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकार चिकित्सा सुविधाएं, कर्मचारियों की भर्ती के मामले को बेहद लचीले ढंग से ले रही हैं। लगातार पत्र भेजने के बावजूद स्थिति यथावत है। तकनीकी कर्मचारी की भर्ती अथवा पदस्थापन के लिए सरकार और चिकित्सा विभाग ने कोई प्रयास नहीं किए हैं।
यह जुड़े हैं सेन्ट्रलाइजेशन ऑक्सीजन सप्लाई से शिशु औषध विभाग के आईसीयू, कार्डियोलोजी आईसीयू, आइसोलेशन वार्ड, टीबी अस्पताल के आईसीयू सहित आपातकालीन इकाई के वार्ड व मेडिकल आईसीयू में ऑक्सीजन पाइप लाइनों से सप्लाई हो रही है। यह प्रणाली रामभरोसे है। इसमें तकनीकी गड़बड़ी हुई तो काफी नुकसान हो सकता है।
फैक्ट फाइल -२०० सिलैण्डर प्रतिदिन खपत -०९ मिनी प्लांट है ऑक्सीजन के -०७ लाख रुपए प्रतिमाह फर्म को भुगतान (करीब) -२०० से अधिक बैड पर ऑक्सीजन की प्रतिदिन जरूरत