ट्रेनों मे परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों अथवा अन्य कारणों की वजह से अनेक यात्री गाडिय़ों में भोजन करने से कतराते हैं। मेल और एक्सप्रेस ट्रेनो के यात्री तो ट्रेनों में परोसे जाने वाले खाने को खरीदने अथवा नहीं खरीदने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र थे लेकिन महंगे किराए वाली ट्रेनों शताब्दी, राजधानी और दुरंतो के यात्रियों के लिए यह खाना लेना मजबूरी था। इन टे्रनो में खाने की राशि लगभग 225 रुपए टिकट के साथ ही वसूली ली जाती है।
अनेक यात्री नहीं खाते है खाना
ट्रेनों में सफर के दौरान अनेक यात्री अपने घर से ही खाना लेकर चलते हैं। उपवास अथवा तबियत खराब होने की वजह से भी अनेक लोग ट्रेनों में खाने से परहेज करते हैं। इसके अलावा अनेक यात्रियों को ट्रेनों मे परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर भी संशय बना रहता है। राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में टिकट राशि के साथ ही खाने का चार्ज वसूलने की वजह से ऐसे यात्री मजबूरन खाना ले लेते हैं।
ट्रेनों में सफर के दौरान अनेक यात्री अपने घर से ही खाना लेकर चलते हैं। उपवास अथवा तबियत खराब होने की वजह से भी अनेक लोग ट्रेनों में खाने से परहेज करते हैं। इसके अलावा अनेक यात्रियों को ट्रेनों मे परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता को लेकर भी संशय बना रहता है। राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में टिकट राशि के साथ ही खाने का चार्ज वसूलने की वजह से ऐसे यात्री मजबूरन खाना ले लेते हैं।
अब आरक्षण फार्म में विकल्प
रेलवे ने यात्रियों की परेशानी को समझते हुए इन ट्रेनों में खाना लेने अथवा नहीं लेने का विकल्प देने की व्यवस्था लागू की है। आरक्षण फार्म में राजधानी, शताब्दी और दुरंतो के यात्रियों के लिए बाकायदा विकल्प की व्यवस्था की गई है। इसके तहत यात्री अगर खाना नहीं लेना चाहे तो उनके टिकट में इसकी राशि नहीं जोड़ी जाएगी।
रेलवे ने यात्रियों की परेशानी को समझते हुए इन ट्रेनों में खाना लेने अथवा नहीं लेने का विकल्प देने की व्यवस्था लागू की है। आरक्षण फार्म में राजधानी, शताब्दी और दुरंतो के यात्रियों के लिए बाकायदा विकल्प की व्यवस्था की गई है। इसके तहत यात्री अगर खाना नहीं लेना चाहे तो उनके टिकट में इसकी राशि नहीं जोड़ी जाएगी।