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मरीज की मौत, परिजन ने किया अस्पताल में हंगामा

locationअजमेरPublished: Jun 08, 2019 01:36:30 pm

Submitted by:

Preeti

इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप, परिजन के हंगामे के बाद सक्रिय हुई पुलिस, मेडिकल बोर्ड से कराया पोस्टमार्टम

death case

Death of one in a road accident

अजमेर. पंचशीनगर स्थित क्षेत्रपाल हॉस्पिटल मल्टी स्पेशलिटी एण्ड रिसर्च सेंटर में शुक्रवार सुबह उपचार के दौरान मरीज की मृत्यु के बाद परिजन ने हंगामा कर दिया। परिजन ने अस्पताल प्रशासन पर गलत उपचार का आरोप लगाया। परिजन के हंगामे पर पहुंची क्रिश्चियन गंज थाना पुलिस ने शिकायत पर संदिग्ध हालात में मृत्यु का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया।
पुलिस के अनुसार पुष्कर निवासी रामस्वरूप भाटी को 24 मई को क्षेत्रपाल हॉस्पिटल मल्टी स्पेशलिटी एण्ड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया। परिजन ने आरोप लगाया कि रामस्वरूप को फेफड़ों में इंफेक्शन के इलाज के लिए भर्ती कराया, लेकिन चिकित्सकों ने उसके हृदय में ब्लॉकेज बताते हुए एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी कर दी। एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी के 24 घंटे बाद भी परिजन को उनसे नहीं मिलने दिया। चौबीस घंटे बाद चिकित्सकों ने उसके कौमा में जाने की बात कही। इसके बाद उन्होंने ब्रेन का सीटी स्कैन कराया। इसमें उन्होंने ब्रेन डेड घोषित कर दिया, लेकिन चिकित्सकों ने बॉडी चलने की बात कही। परिजन ने आरोप लगाया कि ब्रेन डेड के बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन से बाहरी चिकित्सक बुलाकर उपचार की बात कही, लेकिन प्रबंधन अपने चिकित्सकों के भरोसे उपचार करता रहा। आखिर शुक्रवार सुबह साढ़े 3 बजे चिकित्सकों ने रामस्वरूप को मृत घोषित कर दिया। परिजन ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। उन्होंने मामले में क्रिश्चियन गंज थाने में शिकायत दी। पुलिस ने संदिग्ध हालात में मृत्यु का मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया। पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराकर शव परिजन के सुपुर्द कर दिया।
सिर्फ फेफड़ों में इन्फेक्शन

रिश्तेदार सुशील पंवार ने बताया कि 24 मई को रामस्वरूप को जेएलएन अस्पताल के ह्रदय रोग विभाग में लेकर आए। यहां प्राथमिक जांच के बाद चिकित्सकों ने उसके फेफड़ों में संक्रमण बताते हुए कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया, लेकिन परिजन ने क्षेत्रपाल हॉस्पिटल में भर्ती कराने का निर्णय किया। यहां जांच में चिकित्सकों ने फेफड़ों के संक्रमण के अलावा हृदय में ब्लॉकेज बताकर एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी कर दी।
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